6 साल तक PCOD के कारण इंजेक्शन लेने के बाद आयुर्वेदिक इलाज से शशि बनी माँ

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, बुधवार 25 जून 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। आजकल लोगों की व्यस्त जीवनशैली, शारीरिक शिथिलता, अनहेल्थी भोजन, स्ट्रेस आदि के कारण हॉर्मोनल असंतुलन की समस्या बढ़ती जा रही है और इन्हीं में से एक हैं पीसीओडी। पीसीओडी एक ऐसी समस्या है जिससे लगभग 20 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित हैं। पीसीओडी की समस्या अगर लम्बे समय तक बनी रहे तो उससे निःसंतानता भी हो सकती है। आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा ने ऐसे ही एक मामले के बारे में बताया कि पिछले महीने शशि जब उनसे मिलने आई थी तब उनकी गोद में एक प्यारा का बच्चा खेल रहा था। संतानप्राप्ति की यह ख़ुशी उसके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई दे रही थी। दरअसल शशि पेशे से शिक्षक हैं और उनकी उम्र 32 साल है। 

शशि जी को पीसीओडी की समस्या थी जिसकी वजह से उनका वजन बढ़ गया था और पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द रहता था। दर्द की वजह से उन्हें इंजेक्शन लेना होता था। उन्होंने कई जगह से ट्रीटमेंट करवाया लेकिन माँ बनने का सपना अधूरा ही रहा। उन्होंने आईवीएफ करवाने की भी कोशिश की थी लेकिन वह असफल रहा। करीब 6 साल तक निःसंतानता की समस्या से परेशान रहने के बाद उन्होंने माँ बनने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। फिर उन्होंने आयुर्वेदिक उपचार के बारे में सोचा और आशा आयुर्वेदा के दिल्ली केंद्र पर इलाज के लिए आई। उनकी हिस्ट्री सुनने के बाद चंचल शर्मा ने उन्हें कुछ जांच करवाने की सलाह दी जिससे निःसंतानता के वजह का पता लग पाया। उन्हें पीसीओडी के साथ एग क्वालिटी की भी समस्या थी। आशा आयुर्वेदा में कुछ महीनों तक उनका आयुर्वेदिक उपचार किया गया, जिसमे थेरेपी, जीवनशैली में परिवर्तन, संतुलित आहार और नियमित एक्सरसाइज आदि शामिल था। कुछ महीनों तक जब उन्होंने डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी नियमों का पालन किया तो उनका वजन नियंत्रित होने लगा और एग क्वालिटी भी बेहतर हो गई। इसके बाद उन्होंने प्रेगनेंसी का प्रयास किया और नैचुरली कन्सीव भी किया। जब उन्होंने अपने गर्भ से एक बच्चे को जन्म दिया तब उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था जैसी ज़िन्दगी भर की तपस्या सफल हो गई हो। शशि जैसी कई महिलाओं को यह जानने की आवश्यकता है कि आयुर्वेदिक उपचार द्वारा आप संतानसुख की प्राप्ति कर सकती हैं। वह भी बिना किसी सर्जरी केवल दवाओं, थेरेपी और डाइट के माध्यम से। इसलिए निराशा का त्याग करें और आयुर्वेदा को अपनाएं।

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