पुस्तक कैकेयी का लोकार्पण

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, बुधवार 25 जून 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। नई दिल्ली स्थित क्लेरिजेस होटल में एक भव्य साहित्यिक समारोह के अंतर्गत सुप्रसिद्ध लेखक विकास कपूर द्वारा रचित चर्चित ग्रंथ कैकेयी श्रीराम वनवास केवल चौदह वर्ष क्यों? का औपचारिक लोकार्पण बिहार के महामहिम राज्यपाल जनाब आरिफ मोहम्मद ख़ान के कर-कमलों से सम्पन्न हुआ। यह ग्रंथ लेखक की दो दशकों से अधिक की साधना, शोध और चिंतन का परिणाम है, जो रामायण की बहुचर्चित परंतु सर्वाधिक उपेक्षित पात्र कैकेयी अंबा को केंद्र में रखते हुए एक न्यायसंगत, आध्यात्मिक और दार्शनिक विमर्श को जन्म देता है।

इस गरिमामय अवसर पर कई विशिष्ट अतिथिगण उपस्थित रहे डॉ. सुभाष चंद्रा, चेयरमैन एमेरिटस, ज़ी टीवी, श्री कपिल मिश्रा, माननीय मंत्री, कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग, दिल्ली सरकार, श्री तरुण राठी, माननीय राज्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार इस अवसर पर महामहिम जनाब आरिफ मोहम्मद ख़ान ने अपने संबोधन में कहा यह केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक बौद्धिक न्याय की पुकार है। कैकेयी न तो दुर्बल थीं, न आवेग में थीं, न मोहवश वे दूरदर्शी, त्यागी और साधनारत नारी थीं। ऐसे युग में, जब महिलाओं की आवाज़ों को केंद्र में स्थान नहीं मिलता था उन्होंने एक ऐसा निर्णय लिया जिसने इतिहास की दिशा बदल दी। विकास कपूर का यह ग्रंथ उस मौन को वाणी देता है और कैकेयी माता के निर्णय की पुनर्परिभाषा करता है।

डॉ.सुभाष चंद्रा ने पुस्तक को समय की मांग बताते हुए कहा इतिहास अक्सर उस गहराई से डरता है, जिसे वह समझ नहीं पाता। यह ग्रंथ उस गहराई तक पहुँचने का एक साहसिक साहित्यिक प्रयास है। माननीय श्री तरुण राठी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कैकेयी केवल एक साहित्यिक रचना नहीं, यह एक सामाजिक पुनरावलोकन है। यह पुस्तक आलोचना को समझ में और आरोप को संवाद में बदलने की दिशा में एक अनमोल प्रयास है। लेखक विकास कपूर ने अपनी बात रखते हुए कहा: यदि कैकेयी अंबा का उद्देश्य मात्र पुत्रमोह होता, तो वे श्रीराम के लिए आजीवन वनवास और भरत के लिए अयोध्या का स्थायी राज्य सिंहासन माँग सकती थीं। परंतु उन्होंने केवल चौदह वर्ष का वनवास क्यों माँगा? इसी प्रश्न का आध्यात्मिक रहस्य इस ग्रंथ की आत्मा है।

समारोह के अंत में लेखक ने प्रकाशक श्री ऑसिम खेत्रपाल के प्रति विशेष कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा श्री खेत्रपाल जी के बिना 'कैकेयी' अब भी केवल एक पांडुलिपि ही होती न पढ़ी जाती, न समझी जाती। यह पुस्तक अब अमेज़न, फ्लिपकार्ट, और अन्य सभी प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपलब्ध है। इसका वितरण एवं विपणन ओरिएंट ट्रेडलिंक लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।​ डॉ.संजना जॉन, रणनीतिक वैश्विक सलाहकार और कई मानवीय पहलों के पीछे दूरदर्शी, ने साईं बाबा शांति पुरस्कारों की इस पवित्र यात्रा की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये पुरस्कार केवल सम्मान नहीं हैं, बल्कि साईं बाबा के शांति, एकता और सेवा (निस्वार्थ सेवा) के शाश्वत संदेश के लिए एक जीवंत श्रद्धांजलि हैं। और उन व्यक्तियों और संगठनों का उत्थान करते हैं जो इन सार्वभौमिक मूल्यों को अपनाते हैं, जिससे दुनिया भर में करुणा की लहरें उठती हैं।

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