सर्वोच्च न्यायालय के जजों द्वारा संविधान और कानून की अवज्ञा के खिलाफ प्रदर्शन

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, मंगलवार 22 जुलाई 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के दर्जन भर हिन्दू और सामाजिक संगठनों ने जन्तर मन्तर पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश संविधान और कानून के अनुसार काम न करके मनमानी कर रहे हैं। अतः संसद अंग्रेजी न्याय प्रणाली का खात्मा करके भारतीय न्याय प्रणाली के अनुसार न्याय दिलवाने की व्यवस्था करे। प्रदर्शन कारियों को सम्बोधित करते हुए हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुन्ना कुमार शर्मा ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय हिन्दी और हिन्दू विरोधियों का अड्डा बन चुका है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार दीवाली के पटाखें से वायु गुणवत्ता सूचकांक में किसी भी प्रकार का इजाफा नहीं होता। उसके बावजूद भी विस्फोटक नियम 2008 का उल्लंघन करके सर्वोच्च न्यायालय के ईसाई जज आंगस्ट्रीन जॉर्ज मसीह और अभय श्रीनिवास ओक ने हिन्दुओं के त्यौहारों से नफरत करने के सर्वोच्च न्यायालय के खास अभियान के तहत दिवाली के पटाखों पर रोक लगायी। इस अवसर पर अटल जन शक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बम बम महाराज नौहट्टिया ने कहा कि विस्फोटक कानून की धारा 9 के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक 100 किलो तक पटाखे बिना लाइसेंस के बना सकता है और बेच सकता है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय के उन न्यायधीशों को तत्काल त्यागपत्र दे देना चाहिये, जिन्होंने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों पर रोक लगाकर कानून की अवज्ञा की। भ्रष्टाचारी बेईमान जज यशवंत वर्मा के साथ -साथ ईसाई जज आंगस्ट्रीन जॉर्ज मसीह पर महाअभियोग और अभय श्रीनिवास ओक जैसे हिन्दू विरोधी जजों पर लोकापाल कानून के तहत मुकदमा चलाकर सजा दी जानी चाहिये। 

प्रदर्शन कारियों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई धर्मेन्द्र प्रताप शुक्ला ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के जज यशवन्त वर्मा के घर में नोटों के अम्बार में लगी आग और जजों की रिश्वत खोरी के कई मामले प्रकाश में आने के बाद जाहिर हो चुका है कि भारतीय न्यायपालिका अपना विश्वास खो चुकी है। बेहतर यही होगा कि भारत सरकार अंग्रेजी न्याय व्यवस्था का खत्म करके भारतीय न्याय प्रणाली अपनाकर पंचायतों द्वारा न्याय प्रदान कराये। समाजवादी लेबर फ्रन्ट के अध्यक्ष श्री जे पी सिंह ने भी कहा कि भारतीय न्याय प्रणाली अपनाने से ही अदालतों में लगे 5 करोड़ मुकदमों का बोझ कम होगा। प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए दारा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने बताया कि इसी महीने से सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यस्थता द्वारा मामलों को सुलझाने का अभियान चलाया है। श्री जैन ने सरकार से अनुरोध किया कि मध्यस्थता अभियान की बागडोर पूर्व राजा महाराजाओं और जागीरदारों के हाथों में दी जाये। जनता को इनकी न्याय व्यवस्था पर बहुत विश्वास है। इस अवसर पर ग्राम उदय फाउन्डेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संजीव कुमार तिवारी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के कालेजियम के जज जजों की नियुक्ति में सविधान के अनुच्छेद 124.2 का सरासर उल्लंघन कर रहे हैं। इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय ओर राज्य के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायधीशों से परामर्श करने के पश्चात हैं, जिनसे इस विषय में परामर्श करना उचित समझे सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति करेंगे। कालेजियम से कभी भी राष्ट्रपति ने परामर्श नहीं मांगा। उचित यही होगा कि महामहिम राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय में ताला लगा दें।

विशेष रूप से आमंत्रित सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील श्री ए पी सिंह ने भी प्रदर्शन कारियों को  सम्बोधित करते हुए कहा कि महामहिम राष्ट्रपति ने सर्वोच्च न्यायालय से जो 14 सवाल पूछे है, उनसे साफ जाहिर होता है कि राष्ट्रपति जान चुके है कि सर्वोच्च न्यायालय के जज भारतीय संविध्धान और कानून का पालन न करके मनमानी कर रहे हैं। कानून से खिलवाड़ और उल्लंघन का सबसे बड़ा मामला दारा सेना के राष्ट्र्रीय अध्यक्ष श्री मुकेश जैन को सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश शरद अरविन्द बोबड़े द्वारा एक ही अपराध में 4-4 मुकदमें लगाकर उन्हे 14 महीने जेल में डालना है। हिन्दू संगठनों ने एकमत होकर सरकार से मांग की विश्वास खो चुके सर्वोच्च न्यायालय में ताला लगाकर सरकार अंग्रेजी न्याय प्रणाली के स्थान पर भारतीय न्याय प्रणाली को लागू करने की कृपा करें।

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