आयुर्वेदिक उपचार से 38 की उम्र में दुबारा बनी माँ
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, रविवार 3 अगस्त 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। निःसंतानता की समस्या कई कारणों से हो सकती है लेकिन अक्सर लोगों को ऐसा लगता है कि अगर उन्हें पहला बच्चा हो चुका है तो उन्हें ऐसी कोई समस्या नहीं होगी और दूसरा बच्चा भी आसानी से हो जाएगा। लेकिन सच तो यह है कि पहला बच्चा होने के बाद भी दूसरी संतान में दिक्कतें आ सकती हैं जिसे चिकित्सा भाषा में सेकेंडरी इनफर्टिलिटी कहते हैं। आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा के अनुसार सेकेंडरी इनफर्टिलिटी की समस्या आजकल बहुत आम हो गई है। उनके पास कई ऐसे मरीज आते हैं जिनको पहला बच्चा हो चुका है लेकिन दूसरे के लिए लंबे समय से प्रयास करने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिल रही है। ऐसी ही एक मरीज आशा आयुर्वेदा के मुंबई ब्रांच में आई थी। उनका पहला बच्चा शादी के 2 साल बाद ही हो गया था लेकिन दूसरे बच्चे के लिए वह 4 साल से कोशिश कर रही थी और बार बार असफल हो रही थी। धीरे धीरे उनकी चिंता बढ़ गई और उन्होंने डॉक्टर्स से सलाह लेना शुरू किया। डायग्नोसिस कराने के बाद पता चला बुशरा की एक ट्यूब ब्लॉक है और ज्यादा उम्र होने के कारण उनका एएमएच भी कम हो गया था।
बुशरा को सभी डॉक्टर्स ने आईवीएफ कराने की सलाह दे दी थी, वह भी डोनर एग की मदद से लेकिन वह प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करना चाहती थी। काफी रिसर्च के बाद उनको आयुर्वेदिक इलाज के बारे में पता चला और उन्होंने उम्मीद के साथ आशा आयुर्वेदा से अपना ट्रीटमेंट शुरू किया। उनकी रिपोर्ट्स देखकर डॉक्टर भैरवी ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह नैचुरली कन्सीव कर सकती हैं। उत्तर बस्ती द्वारा उनकी ट्यूब्स खोली गई। इसके साथ उन्हें कुछ आयुर्वेदिक दवाई भी दी गई जिससे उनका एएमएच नॉर्मल हो गया। 6 महीने के आयुर्वेदिक उपचार के बाद जब सब रिपोर्ट्स नॉर्मल हो गए तो उन्होंने गर्भधारण की तैयारी शुरू की और अगले ही महीने उनकी प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। नौ महीने बाद 38 साल की उम्र में उन्होंने अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया। डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि बुशरा का दुबारा माँ बनना कोई चमत्कार नहीं है बल्कि यह आयुर्वेदा की शक्ति का परिणाम है। आयुर्वेद में आपके शरीर के त्रिदोषों को संतुलित किया जाता है जिससे निःसंतानता की समस्या भी ठीक हो जाती है। इसमें किसी प्रकार की सर्जरी नहीं की जाती है। केवल आयुर्वेदिक औषधि, पंचकर्म थेरेपी, डाइट और योग के माध्यम से आपकी जीवनशैली को व्यवस्थित किया जाता है, जिससे आप प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकें।
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