पर्पल डायलॉग में जुटे टॉप ब्रांड्स, कहा कारोबार में सबकी भागीदारी ज़रूरी
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, बुधवार 6 अगस्त 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। भारत के प्रमुख हॉस्पिटैलिटी और एविएशन ब्रांड्स ‘पर्पल डायलॉग’ नामक मंच पर एकजुट हुए — जो कि सक्षम इंडिया द्वारा आयोजित एक प्रभावशाली फोरम है। इस मंच का उद्देश्य था दिव्यांगजनों की ज़रूरतों को समझते हुए उनके लिए नए आर्थिक अवसरों के रास्ते खोलना। इस फोरम के ज़रिए भारतीय व्यवसायों से यह आह्वान किया गया कि वे समावेशन को केवल कानूनी ज़रूरत नहीं, बल्कि कारोबारी संभावना के रूप में देखें। समावेशन अब सिर्फ सीएसआर की औपचारिकता नहीं, बल्कि एक बड़ा बाज़ार अवसर है। अगर होटल, मॉल, एयरपोर्ट और रिटेल चेन जैसी सुविधाओं को सुलभ बना दिया जाए, तो दिव्यांगजन और सीमित गतिशीलता वाले लोग भी इन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं — और सीधे तौर पर बिक्री व कारोबार में योगदान दे सकते हैं। यह बात फोरम में वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से रखी। एनेबल इंडिया की संस्थापक शांति राघवन ने कहा, “पर्पल इकॉनमी डायलॉग्स, एक समावेशी समाज की दिशा में हमारी कोशिशों की एक अहम कड़ी हैं। हमारा विश्वास है कि असली और टिकाऊ विकास तभी संभव है जब कोई भी पीछे न छूटे — और इसके लिए ज़रूरी है कि दिव्यांगजनों को हमारी आर्थिक और सामाजिक रणनीतियों के केंद्र में स्थान मिले।
पर्पल डायलॉग का आयोजन द ललित अशोक होटल में किया गया, जहां ताज, अकासा एयर, लेमन ट्री समेत देश की अग्रणी हॉस्पिटैलिटी कंपनियों के प्रमुख और उद्यमियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने समावेशिता के ज़रिए भारत की आर्थिक संभावनाओं को विस्तार देने और रोजगार, सेवा एवं उत्पाद क्षेत्रों में दिव्यांगजनों की भागीदारी बढ़ाने के उपायों पर विचार साझा किए। पर्पल डायलॉग्स’ एनेबल इंडिया की एक नियमित पहल है, जिसका आयोजन हर पंद्रह दिन में किया जाता है। इसका उद्देश्य है कंपनियों, संस्थानों और आम लोगों को ‘पर्पल इकोनॉमी मूवमेंट’ के प्रति जागरूक करना। यह एक वैश्विक अभियान है, जो समाज में दिव्यांगजनों की भूमिका को देखने का नजरिया बदलने की कोशिश कर रहा है। इस पहल का मूल मकसद है उन व्यक्तियों की आर्थिक क्षमता को पहचानना और उन्हें मुख्यधारा में लाकर साझा विकास की दिशा में आगे बढ़ना, जो भले ही शारीरिक रूप से अलग हों, लेकिन उतनी ही योग्यता और सामर्थ्य रखते हैं।
एक्सेसिबिलिटी को खर्च नहीं, बल्कि निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए पर्पल डायलॉग्स के दौरान विशेषज्ञों ने यह बात ज़ोर देकर कही। उन्होंने बताया कि कैसे छोटे-छोटे बदलाव चाहे वह भवनों की संरचना में हों या सेवा प्रक्रियाओं में समावेशन को आसान और व्यवहारिक बना सकते हैं। इससे न केवल एक उपेक्षित मार्केट सेगमेंट को जोड़ा जा सकता है, बल्कि कारोबारी दृष्टि से भी लाभ सुनिश्चित होता है। संयुक्त राष्ट्र के भारत स्थित रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोंबी शार्प ने इस अवसर पर कहा, “मानवाधिकारों का महत्व संख्या से तय नहीं होता हर एक व्यक्ति महत्वपूर्ण है। एनेबल इंडिया, संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पर्पल इकोनॉमी अर्थात समावेशी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है। भारत के पास इस क्षेत्र में वर्षों का अनुभव, सामाजिक समझ और तकनीकी नवाचार है। यही कारण है कि भारत इस दिशा में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है एक ऐसी अर्थव्यवस्था की ओर, जहां हर व्यक्ति को समान अवसर मिले, भले ही उसकी क्षमताएं कुछ भिन्न क्यों न हों।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें