आइफ़ा के मंच से इस्पात क्षेत्र को नई दिशा, शोध एवं तकनीक पर दिया ज़ोर
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, सोमवार 17 नवंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। दिल्ली के होटल शांग्री-ला के महोगनी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में लोहे और इस्पात उद्योग से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई जिसकी अगवाई आईफा सस्टेनेबल स्टील मनुफक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश मंधानि एवं महासचिव कमल अग्रवाल के द्वारा की गयी। सत्र की शुरुआत संध्या सात बजे हरित इस्पात प्रमाणपत्र वितरण के साथ हुई। यह प्रमाणपत्र केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी.के. त्रिपाठी, एनआईएसएसटी निदेशक परमजीत सिंह तथा आइफ़ा अध्यक्ष योगेश मंधानी द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किए गए। इस अवसर पर कई इस्पात संस्थानों को उनके उत्कृष्ट योगदान और पर्यावरण अनुकूल उत्पादन पद्धतियों के लिए सम्मानित किया गया। इनमें एस.के.ए इस्पात एंड पावर लिमिटेड के आदित्य अग्रवाल, एस.के.ए इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के ईशान अग्रवाल, अम्बिका स्टील्स लिमिटेड इकाई–दो एवं इकाई–चार के अम्बेश त्यागी, एम.एस मेटल्स एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड के नमन पलावत, रासिक उद्योग के रमेश गोयल, फॉर्च्यून मेटल्स लिमिटेड के गौरव शर्मा, काशी विश्वनाथ स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड के देवेंद्र कुमार अग्रवाल, राधा स्मेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के स्नेही साराफ, जयदीप इस्पात एंड मिश्र धातु प्राइवेट लिमिटेड के कपिल जाट, अंबा शक्ति उद्योग लिमिटेड उत्तर प्रदेश के ध्रुव गोयल एवं माणिक गोयल तथा अंबा उद्योग लिमिटेड मध्य प्रदेश के अक्षत गोयल और ध्रुव गोयल शामिल रहे।
गौण इस्पात क्षेत्र की दशा और दिशा पर इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी.के. त्रिपाठी ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि देश की विकास गति में गौण इस्पात उद्योग की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। उत्पादन क्षमता बढ़ाने, ऊर्जा संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और तकनीकी उन्नयन जैसे विषयों पर उनका विशेष जोर रहा। उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे नवीन तकनीकों को अपनाकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी उपस्थिति मजबूत करें। परामर्श योजना और कर विषयक प्रस्तुति पर कर विशेषज्ञ बिमल जैन ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने वर्तमान कर प्रणाली, निर्माता इकाइयों को आने वाली चुनौतियों, तथा समाधान की स्पष्ट रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यदि उद्योग संस्थान कर व्यवस्था के नियमों को सरलता से समझें और समयबद्ध ढंग से पालन करें तो अनावश्यक विवादों से बचा जा सकता है। खुले संवाद में उपस्थित प्रतिनिधियों ने कर से जुड़े अपने प्रश्न रखे। कच्चे माल, मूल्य निर्धारण, कर जमा करने की समय-सीमा तथा लेखे–जांचे से संबंधित अनेक बिंदुओं पर खुलकर चर्चा हुई। इस दौरान विशेषज्ञों ने सभी प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत करते हुए उद्योग जगत की शंकाओं का निवारण किया।
आइफ़ा महासचिव ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया और सभी अतिथियों, प्रतिनिधियों तथा उद्योग समूहों का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि आइफ़ा शोध, संवाद और उद्योग मार्गदर्शन के माध्यम से इस क्षेत्र के विकास में अपनी भूमिका निभाता रहेगा। इसके बाद माध्यम प्रतिनिधियों के साथ संवाद की शुरुआत हुई, जिसमें कर से जुड़े मुद्दों के साथ–साथ लौह अयस्क उपलब्धता और मूल्य से जुड़ी चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने मीडिया के सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि उद्योग से जुड़े बिंदुओं को सरकार तक सकारात्मक ढंग से पहुंचाया जाएगा। कार्यक्रम का समापन अनौपचारिक वार्तालाप और आपसी संवाद के साथ हुआ। संपूर्ण सत्र उद्योग जगत के लिए जानकारी, विचार–विनिमय और समस्या–समाधान का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हुआ।
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