65-वर्षीय बुजुर्ग मरीज की टोटल नी रिप्लेसमेंट हुआ
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, शुक्रवार 12 सितम्बर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग के डॉक्टरों ने 65-वर्षीय बुजुर्ग महिला की टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया और इस दौरान, करीब 250 ग्राम वजन के 32 अन्य (इंट्रा-आर्टिक्युलर) पिंडों को भी निकाला। यह ग्लोबल ऑर्थोपिडिक प्रेक्टिस में दर्ज किया गया अपनी तरह का दुर्लभ मामला है। इस जटिल सर्जरी को डॉ (प्रोफे.) अमित पंकज अग्रवाल, प्रिंसीपल डायरेक्टर एवं हेड ऑफ डिपार्टमेंट, फोर्टिस बोन एंड ज्वाइंट इंस्टीट्यूट, फोर्टिस शालीमार बाग के नेतृत्व में पूरा किया गया और 6 दिन बाद मरीज को स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी मिल गई। मरीज लगातार घुटनों के दर्द से पीड़ित थी और पिछले कई वर्षों से उनके जोड़ों में विकार भी पैदा हो गए थे। ऐसे में रोज़मर्रा की सामान्य गतिविधियों को भी स्वयं करना उनके लिए लगभग असंभव हो चला था क्योंकि उनके जोड़ों में काफी अकड़न और अस्थिरता पैदा हो चुकी थी। फोर्टिस शालीमार बाग में भर्ती कराने और प्री-ऑपरेटिव एक्स-रे से पता चला कि उनके जोड़ों में कई कैल्शियम निर्मित ढीले पिंड (कैल्सीफाइड लूज़ बॉडीज़) फैले हुए थे। इंट्रा-ऑपरेटिव तस्वीरों में इनकी संख्या 32 पायी गई, जिनमें कई 4 से.मी. साइज़ के थे और इनका वज़न 250 ग्राम था। इस कंडीशन को सेकेंडरी सिनोवियल कॉन्ड्रोमेटोसिस, कहते हैं जो एक प्रकार का दुर्लभ विकार है जिसमें किसी पुराने कारण के चलते जोड़ों के भीतर कार्टिलेज नॉड्यूल्स बन जाते हैं, और इनकी वजह से धीरे-धीरे जोड़ों की मूवमेंट कम होने लगती है और उन्हें नुकसान भी पहुंचता है। इन पिंडों को नी रिप्लेसमेंट सर्जरी से पहले निकाला गया ताकि सफल तरीके से रीकंस्ट्रक्शन सुनिश्चित किया जा सके। इन पिंडों की संख्या (32) और वज़न (250 ग्राम) के चलते मेडिकल हिस्ट्री में यह दुर्लभ मामला है।
इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ (प्रोफे.) अमित पंकज अग्रवाल, प्रिंसीपल डायरेक्टर एवं हेड ऑफ डिपार्टमेंट, फोर्टिस बोन एंड ज्वाइंट इंस्टीट्यूट, फोर्टिस शालीमार बाग ने बताया, “यह काफी एडवांस और रेयर कंडीशन थी। मरीज की ज्वाइंट कैविटी में 32 पिंड भरे हुए थे, जिनमें से कुछ का आकार अखरोटों जितना था। इनका कुल वजन 250 ग्राम था जो काफी दुर्लभ है और साथ ही जटिल रीकंस्ट्रक्शन की प्रक्रिया के चलते, यह मामला और भी दुर्लभ बन गया। इस प्रकार के जोड़ की नी रिप्लेसमेंट सर्जरी करने के लिए काफी सावधानी और तैयारी की जरूरत होती है। हमें खुशी इस बात की है कि सर्जरी के बाद मरीज का रिस्पॉन्स अच्छा रहा और वह जल्दी ही चलने भी लगी तथा कुछ दिनों में उन्हें ज्वाइंट मोबिलिटी में सुधार तथा दर्द में काफी कमी महसूस हुई। अब सर्जरी के बाद उनकी फिजियोथेरेपी जारी है जिससे उनकी रिकवरी अच्छी हो रही है। इस तरह के मामले न सिर्फ दुर्लभ होते हैं, बल्कि सर्जरी के लिए भी चुनौती बन जाते हैं। लेकिन हम न सिर्फ उनके टोटल ज्वाइंट फंक्शन को बहाल करने में सफल रहे बल्कि मरीज की लाइफ क्वालिटी में भी इससे काफी सुधार हुआ है जो कि पिछले कई वर्षों से तकलीफ में थीं। किसी भी डॉक्टर के लिए अपने मरीज की हालत में सुधार देखना काफी संतोष और खुशी का विषय होता है।
महिपाल सिंह भनोत, बिजनेस हेड, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा यह मामला फोर्टिस हॉस्पीटल्स की क्लीनिकल उत्कृष्टता, एडवांस सर्जिकल क्षमताओं और मरीजों की दयाभाव के साथ देखभाल की हमारी प्रतिबद्धता का सबूत है। इस तरह के दुर्लभ और जटिल मामले, जबकि नी रिप्लेसमेंट के दौरान ही इंट्रा-आर्टिक्युलर पिंडों से भी कुशलतापूर्वक निपटा गया, हमारी मेडिकल टीम की कुशलता और मरीजों की देखभाल के हमारे ऊंचे मानकों को दर्शाते हैं। हमारा जोर वर्ल्ड-क्लास परिणाम सुनिश्चत करने पर रहता है और न हम केवल कंडीशन का ही उपचार नहीं करते बल्कि अपने मरीजों के सम्मान और उनकी मोबिलिटी को भी बहाल करने पर ध्यान देते हैं।
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