एनएसईएफआई ग्रीन डेटा सेंटर गठबंधन का लोगो और इंटरैक्टिव वेबसाइट लॉन्च


शब्दवाणी सम्माचार टीवी, शनिवार 27 सितम्बर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनएसईएफआई) ने अमेज़न के साथ मिलकर नई दिल्ली के द ललित में भारत के पहले कार्बन-मुक्त ऊर्जा डेटा सेंटर समिट का सफल आयोजन किया। इस ऐतिहासिक आयोजन में वरिष्ठ नीति निर्माता, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के नेता और डेटा सेंटर उद्योग के प्रमुख हस्तियों ने भारत की सतत और कार्बन-न्यूट्रल डिजिटल अवसंरचना के लिए मार्ग प्रशस्त करने हेतु विचार-विमर्श किया। श्री दीपक गुप्ता (आईएएस सेवानिवृत्त), माननीय महानिदेशक, एनएसईएफआई ने कहा डेटा सेंटर किसानों के खेतों से सीधे सौर ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं या विकेंद्रीकृत कृषि-फोटोवोल्टिक परियोजनाओं के माध्यम से हरित गुण प्राप्त कर सकते हैं। यह मॉडल विकास का एक सद्गुण चक्र बनाता है—डेटा सेंटर अपना कार्बन फुटप्रिंट कम करते हैं, किसान ऊर्जा उद्यमी बन जाते हैं, और ग्रामीण भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था में हितधारक के रूप में उभरता है। डिजिटल उद्योग उदाहरण प्रस्तुत करके नेतृत्व कर सकता है, जो दर्शाता है कि स्थिरता और विकास हाथ में हाथ डालकर कैसे आगे बढ़ सकते हैं।”

श्री माइकल पंक, उपाध्यक्ष, ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी, अमेज़न वेब सर्विसेज, ने विशेष टिप्पणी में अमेज़न की कार्बन-मुक्त डेटा सेंटर पहल और भारत में निवेश यात्रा पर कहा, “भविष्य को देखते हुए, हम नई चुनौतियों को पहचानते हैं, विशेष रूप से जेनरेटिव AI जैसी प्रौद्योगिकियों की बढ़ती ऊर्जा मांग। यही कारण है कि हम सौर, पवन, परमाणु, बैटरी भंडारण और उभरती प्रौद्योगिकियों में अपने निवेश को विविधता दे रहे हैं। 2040 तक नेट-ज़ीरो कार्बन हासिल करने की हमारी प्रतिबद्धता अटल है। मैं यह जोर देना चाहता हूँ कि यह एक ऐसी यात्रा है, जिसे हमें मिलकर पूरा करना होगा। सतत डिजिटल अवसंरचना का मार्ग सरकार, उद्योग और समाज के बीच सहयोग की मांग करता है। AWS भारत के सतत डिजिटल परिवर्तन में साझेदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है, और हम इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने के लिए तत्पर हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए, माननीय केंद्रीय ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50% स्थापित बिजली क्षमता हासिल की है जो निर्धारित समय से पाँच साल पहले पूरा हुआ। पिछले दशक में हमारी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता चार गुना से अधिक बढ़ी है, और हम 2030 तक 500 गीगावाट तक पहुँचने की राह पर हैं। डिजिटल क्रांति और स्वच्छ ऊर्जा क्रांति को अब एक साथ आना होगा। भारत का मानना है कि ऊर्जा परिवर्तन केवल मेगावाट और गीगावाट तक सीमित नहीं है। यह रोज़गार, कौशल और नवाचार के बारे में है। भारत में बनने वाला प्रत्येक नया कार्बन-मुक्त डेटा सेंटर हरित रोज़गार सृजित करेगा, नवीकरणीय और भंडारण प्रणालियों के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देगा, और डिजिटल-ऊर्जा अभिसरण के लिए नए व्यवसाय मॉडल उत्पन्न करेगा। यह किसानों द्वारा स्वच्छ ऊर्जा के लिए बायोमास आपूर्ति, इंजीनियरों द्वारा अगली पीढ़ी के शीतलन प्रणालियों के विकास, और स्टार्टअप्स द्वारा ऊर्जा प्रबंधन में नवाचार के बारे में है। भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट है: कार्बन-मुक्त ऊर्जा से संचालित एक डिजिटल अर्थव्यवस्था। यह दृष्टिकोण आत्मनिर्भर भारत, ऊर्जा सुरक्षा और 2070 तक नेट ज़ीरो के हमारे व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखित है। सही नीतियों, नवाचार और साझेदारी के मिश्रण के साथ, मुझे विश्वास है कि हम भारत को सतत डिजिटल अवसंरचना का वैश्विक केंद्र बना सकते हैं। श्री श्रीपद येसो नाइक जी ने एनएसईएफआई ग्रीन डेटा सेंटर गठबंधन के नए लोगो और वेबसाइट का भी शुभारंभ किया, जो डेटा सेंटर और नवीकरणीय ऊर्जा हितधारकों के लिए एक नोडल संसाधन के रूप में कार्य करेगा। डॉ. मोहम्मद रिहान, महानिदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, श्री राजेश कुल्हारी, संयुक्त सचिव, नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, और श्री घनश्याम प्रसाद, अध्यक्ष, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, ने नीति ढांचे, नियामक समर्थन और डेटा सेंटरों में 24/7 नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के रोडमैप पर अपने विचार साझा किए।

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