फोर्टिस गुरुग्राम ने स्ट्रोक पीड़ितों के लिए लॉन्च किया 24×7 स्ट्रोक हेल्पलाइन उम्मीद
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, बुधवार 5 नवंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), गुरुग्राम। फोर्टिस गुरुग्राम ने आज एक समर्पित 24×7 स्ट्रोक हेल्पलाइन ‘उम्मीद’ शुरू करने की घोषणा की है जो स्ट्रोक के शुरू होने से लेकर उपचार मिलने तक के बीच की अवधि को काफी हद तक घटाने में मदद करेगी – क्योंकि स्ट्रोक के मामले में एक-एक सेकंड बेहद कीमती होता है। स्ट्रोक पड़ने के 60 मिनट के भीतर – जिसे मेडिकल साइंस की भाषा में ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है, उपचार मिलने से जिंदगी बचायी जा सकती है और दीर्घकालिक विकलांगता की आशंका भी कम हो सकती है। हेल्पलाइन नंबर ‘8588002233’ तत्काल एक्सपर्ट मेडिकल सलाह-मश्विरा देने के साथ-साथ अस्पताल के साथ भी संपर्क कराती है ताकि मरीजों को बिना किसी अनावश्यक देरी के तुरंत मेडिकल केयर मिल सके और उनके जीवित बचने तथा स्वास्थ्यलाभ की संभावना बढ़ सके। उल्लेखनीय है कि भारत में, हर 40 सेकंड पर एक व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार बनता है, और हर चार मिनट पर इसकी वजह से एक जिंदगी खत्म हो जाती है। दुर्भाग्यवश, करीब 15% स्ट्रोक के मामलों में मरीज की उम्र 45 वर्ष से कम देखी गई है। स्ट्रोक के इन बढ़ते मामलों के बावजूद, इसके लक्षणों को लेकर जागरूकता काफी कम है और लक्षणों की पहचान करने में देरी की वजह से मरीजों को अक्सर महत्वपूर्ण अवधि में इलाज नहीं मिल पाता, जो अन्यथा असामयिक मृत्यु या दीर्घकालिक विकलांगता से बचाव में अहम् भूमिका निभा सकता है। फोर्टिस स्ट्रोक हेल्पलाइन से कॉलर्स को स्ट्रोक के चेतावनी लक्षणों की पहचान करने में मदद मिलती है (BE-FAST), जिनमें संतुलन की समस्या, आंखों से दिखायी नहीं देना, चेहरा लटकना, हाथ-पैरों में कमजोरी, बोलने में लड़खड़ाहट/अस्पष्टता या कठिनाई होना प्रमुख है। इसके बाद, हेल्पलाइन तत्काल कॉलर को नज़दीकी स्ट्रोक-रेडी अस्पताल से कनेक्ट करती है, एंबुलेंस सेवाओं की तुरंत उपलब्धता के लिए तालमेल करती है, और डॉक्टरों को भी एडवांस में अलर्ट करती है, जिनसे यह सुनिश्चित होता है कि मरीज के अस्पताल पहुंचते ही बिना समय गंवाए उपचार शुरू हो सके।
डॉ साहिल कोहली, एडिशनल डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा भारत में हर साल स्ट्रोक के 10 से 15 लाख मामले आते हैं, लेकिन केवल 10 % को ही उचित थेरेपी – थ्रोम्बोलिसिस की सुविधा मिल पाती है। और ऐसा स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होने और इस वजह से समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण होता है। स्ट्रोक के उपचार में हर घंटे की देरी मस्तिष्क की 120 मिलियन कोशिकाओं को अपरिवर्तनीय नुकसान पहुंचाती है जो अक्सर विकलांगता, कॉग्निटिव क्षमताओं में कमी और असमय मौत का जोखिम बढ़ाती है। फोर्टिस स्ट्रोक हेल्पलाइन ‘उम्मीद’ अब इसी कमी को दूर करने के इरादे से शुरू की गई है, लेकिन स्ट्रोक के मामले में समय ही मस्तिष्क की सुरक्षा में अहम रोल निभाता है। इस हेल्पलाइन की सहायता से, परिवारों को शीघ्रता से लक्षणों को पहचानने, तुरंत एक्सपर्ट सलाह लेने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है कि मरीज को गोल्डर आवर के दौरान इलाज मिले।”
डॉ सौरभ यतीश बंसल, एडिशनल डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा शीघ्र पता चलने और तुरंत इलाज से मस्तिष्क को रक्तप्रवाह बहाल किया जा सकता है जो कि स्ट्रोक के सफल उपचार की महत्वपूर्ण कड़ी है। मामले को देखते हुए, डॉक्टर खून का थक्का घुलाने की दवाएं (क्लॉट-डिजाल्विंग मेडिसिन) दे सकते हैं या मेकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी कर सकती हैं, जो कि थक्के को दूर करने के लिए की जाने वाली मिनीमली इन्वेसिव प्रक्रिया होती है। हालांकि स्ट्रोक के मामले में ट्रीटमेंट विंडो आमतौर से 4.5 घंटे की होती है, लेकिन सबसे अच्छे परिणाम तभी मिलते हैं जबकि उपचार की प्रक्रिया लक्षणों के दिखायी देने के बाद अगले 90 मिनट के भीतर शुरू हो जाएं। एक-एक मिनट मस्तिष्क को सुरक्षित रखने में अहम् होता है।
डॉ. मोहम्मद नदीम, हेड- इमरजेंसी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा भारत में दुनियाभर के अन्य देशों की तुलना में स्ट्रोक के सर्वाधिक मामले सामने आते हैं, जो उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, तनाव और सही ढंग से पूरी नींद न ले पाने की वजह से होते हैं। लेकिन सबसे प्रमुख कारण इस बारे में जागरूकता का अभाव है। स्ट्रोक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें जल्दी जांच और समय पर चिकित्सकीय मदद तथा इलाज की जरूरत होती है, क्योंकि ऑक्सीजन और खून की आपूर्ति रुकने पर दिमाग के सेल्स कुछ ही मिनटों में मर जाते हैं। जीवनशैली में आसान बदलाव जैसे नियमित एक्सरसाइज करना, स्मोकिंग छोड़ना और रक्तचाप तथा मधुमेह को नियंत्रित रखने से 10 में से 8 स्ट्रोक को रोका जा सकता है।
यश रावत, वाइस प्रेसीडेंट एंड फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा हमारी नई 24×7 स्ट्रोक हेल्पलाइन – उम्मीद के लॉन्च का सीधा लाभ यह है कि अब एक्सपर्ट की सहायता केवल एक कॉल भर की दूरी पर है – भले ही आप कहीं भी क्यों न हो। प्रशिक्षित नर्सें, इमरजेंसी फिजिशियन और न्यूरोलॉजिस्ट चौबीसों घंटे उपलब्ध रहते हैं, और यहां तक की दूरदराज के इलाकों के लिए भी टेली-स्ट्रोक सपोर्ट उपलब्ध है। हमारा प्रयास है कि हरेक मरीज को सही समय पर सही देखभाल का लाभ मिल सके।



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