किशोर उपाध्याय ने विश्व पर्यावरण दिवस पर जलवायु संकट को लेकर दी वैश्विक चेतावनी
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, शुक्रवार 6 जून 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वौइस् ऑफ़ गंगा एंड हिमालय – A Global Organization’ के तत्वावधान में मेल्टिंग हिमालयन ग्लाइडस, डाईंग गंगा विषय पर एक प्रभावशाली जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम IIC, नई दिल्ली में संपन्न हुआ, जिसमें देशभर से पर्यावरणविद, नीति-निर्माता, छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री चिराग पासवान थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा हिमालय और गंगा न केवल हमारी प्रकृति के प्रतीक हैं, बल्कि भारत की आत्मा भी हैं। इनका संरक्षण केवल पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य है। हमें इसे जन आंदोलन बनाना होगा।
वरिष्ठ विधायक, पर्यावरणविद और द ग्लोबल हिमालय आर्गेनाईजेशन के मेंटर किशोर उपाध्याय ने इस अवसर पर कहा हिमालय केवल उत्तर भारत का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण दक्षिण एशिया का जीवन-स्रोत है। यदि इसके ग्लेशियर इसी तरह पिघलते रहे तो आने वाली पीढ़ियों को पीने का पानी भी नसीब नहीं होगा। यह केवल पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक आपदा की आहट है। उन्होंने हाल ही में प्रकाशित वैश्विक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि नॉर्वे के स्वालबार्ड क्षेत्र सहित आर्कटिक में ग्लेशियर कैसे तेज़ी से पिघल रहे हैं, और यह चेतावनी हिमालयी क्षेत्र के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है। इस जागरूकता अभियान को सफल बनाने में सेव हिमालय चैरिटेबल फाउंडेशन महाराष्ट्र ने एक केंद्रीय भूमिका निभाई। संस्था ने न सिर्फ कार्यक्रम के आयोजन में सक्रिय भागीदारी निभाई बल्कि जनचेतना फैलाने, नीति-निर्माताओं से संवाद स्थापित करने और युवाओं को जोड़ने में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।
संस्था के CEO आशीष तुली ने कहा हिमालय का सक्षण, मानव सभ्यता के भविष्य को सुरक्षित रखने की पहली शर्त है। हमें मिलकर इस दिशा में निर्णायक कदम उठाने होंगे, क्योंकि यह सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व का सवाल है। फाउंडेशन के ट्रस्टी करण दोशी ने भी इस मौके पर कहा आज हिमालय सिर्फ बर्फ नहीं खो रहा, बल्कि हमारी पहचान, संस्कृति और जीवन की निरंतरता भी खतरे में है। हमें भावनात्मक और वैज्ञानिक दोनों स्तरों पर जुड़कर हिमालय को बचाने की मुहिम को जन-जन तक पहुंचाना होगा। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ए.के.बाजपेयी ने अपने संबोधन में कहा हिमालय का संकट केवल पारिस्थितिकीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्तित्व का संकट है। हमारी नीतियों को अब आपातकालीन मोड में जाकर पर्यावरण केंद्रित बनाना होगा, अन्यथा आने वाली पीढ़ियों को माफ करने का अवसर नहीं मिलेगा।
किशोर उपाध्याय, जो तीन बार टिहरी विधानसभा से विधायक रह चुके हैं और उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, बीते 45 वर्षों से हिमालय क्षेत्र में सामाजिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक सरोकारों के लिए लगातार संघर्षरत हैं। उन्होंने टिहरी डैम विस्थापन, वन अधिकार, और हिमालयी नदियों के संरक्षण जैसे मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर पर आवाज़ उठाई है। उन्होंने यह भी बताया कि वे दो पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ नीति निर्माण प्रक्रिया में भी जुड़े रहे हैं और INTACH जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण हेतु अनेक पहल कर चुके हैं। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने सेव हिमालयाज, सेव वाटर, सेव लिव्स” का सामूहिक संकल्प लिया और सरकारों व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अपील की कि वे जलवायु संकट को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और हिमालय को संरक्षित करने के लिए ठोस और टिकाऊ नीतियां बनाएं।
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