आध्यात्मिक प्रगति ही सेवा है विषय पर गोष्ठी संपन्न

शब्दवाणी सम्माचार टीवी , बुधवार 23 अप्रैल 2025 ( प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में आध्यात्मिक प्रगति ही सेवा है विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 710 वाँ वेबिनार था। वैदिक विदुषी अनिता रेलन ने कहा कि सेवा को हम अक्सर दूसरों के लिए किया गया कार्य मानते हैं,परंतु सच्चाई यह है कि सेवा दूसरों के लिए नहीं,आत्मा के विकास के लिए होती है।जब मनुष्य निस्वार्थता, समर्पण और करुणा के साथ किसी के लिए कुछ करता है,तो वह केवल कर्म नहीं करता—वह साधना करता है और यही साधना उसे भीतर से बदलती है।यही परिवर्तन आध्यात्मिक प्रगति कहलाता है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं यदि तुम मुझे पाना चाहते हो, तो निष्काम भाव से कर्म करो।” यह 'कर्म' केवल युद्ध या बाहरी कर्तव्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रत्येक कर्म में सेवा भाव का समावेश ही आध्यात्मिक पथ की शुरुआत है।सेवा ही साधना है, क्योंकि वह हमें 'मैं' से 'हम' की यात्रा पर ले जाती है।जब सेवा में अहंकार का लोप हो जाता है और कर्...