80-वर्षीय महिला ने अपने गुर्दों का दान कर 51 वर्षीय को दिया नया जीवन

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, मंगलवार 22 अप्रैल 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। साहस और दयाभाव की शानदार मिसाल पेश करते हुए, 80-वर्षीय मृत महिला के परिजनों ने उनके अंगों का दान कर दो बच्चों की 51-वर्षीय मां का न केवल जीवन बचाया बल्कि खुद अपने दुःखों को भी किसी के लिए उम्मीदों से भर दिया। फोर्टिस हॉस्पीटल, वसंत कुंज में की गई इस जीवन-रक्षक गुर्दा प्रत्यारोपण सर्जरी ने अंगदान और चिकित्सा क्षेत्र में विशेषज्ञता के महत्व को एक बार फिर रेखांकित किया है। इस मामले में, बुजुर्ग महिला को ब्रेन हेमरेज के बाद बेहोशी की अवस्था में फोर्टिस हॉस्पीटल लाया गया था। अस्पताल की मेडिकल टीम के हर संभव प्रयासों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका, और डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन-डेड घोषित कर दिया। उनका परिवार इस दुखद घटना से जूझ ही रहा था कि इस बीच, ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर्स ने उन्हें अंगदान की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। मृतका के परिजनों ने ऐसे में निःस्वार्थ सेवाभाव का परिचय देते हुए, उनके गुर्दे दान करने का निर्णय लिया ताकि परोपकार की उनकी विरासत जारी रहे। 

डोनर का एक गुर्दा 51-वर्षीय महिला के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया जो 2022 से क्रोनिक किडनी रोग से जूझ रही थीं, और उचित डोनर की प्रतीक्षा में थी। यह महिला दो बच्चों की मां हैं और बीते कई वर्षों से डायलसिस पर रहने के बारण उनका हर दिन न सिर्फ अनिश्चितता में बीत रहा था बल्कि स्वास्थ्य भी लगातार बिगड़ रहा था। फोर्टिस वसंत कुंज की सर्जिकल टीम ने, जिसमें अत्यंत कुशल और अनुभवी ट्रांसप्लांट सर्जन, नेफ्रोलॉजिस्ट, तथा एक समर्पित काउंसलिंग यूनिट भी शामिल थी, डोनर के परिजनों को इस बेहद भावनात्मक समय में संवेदना एवं सहानुभूतिपूर्वक भरपूर मार्गदर्शन दिया।  इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ संजीव गुलाटी, प्रिंसीपल डायरेक्टर ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, फोर्टिस हॉस्पीटल, वसंत कुंज ने कहा प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद, रेसिपिएंट की हालत में सुधार हो रहा है। उनका क्रिटनाइन लेवल भी स्थिर हो रहा है और पेशाब भी काफी सही तरीके से जा रहा है। क्लीनीकली, फिलहाल वह एक्यूट टूब्यूलर नेकरोसिस (एटीएन) यानि किडनी इंजरी से गुजर रही हैं, जो कि अपेक्षित था, लेकिन जल्द ही यह भी ठीक हो जाएगा। हमें पूरा भरोसा है कि वह पूरी तरह से रिकवर हो जाएंगी। इस प्रेरणादायक मामले से समय पर अंगदान के महत्व और इसके द्वारा मरीजों की जीवनरक्षा का महत्व स्पष्ट रूप से समझ आता है। अधिकाधिक परिवारों को अपने प्रियजनों के अंगदान की पहल के लिए आगे आना चाहिए।

डॉ अनुराग गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरोसर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल, वसंत कुंज ने कहा मस्तिष्क में चोट के अक्सर दुखद परिणाम होते हैं, लेकिन अंगदान ऐसा अवसर है जो प्रियजनों के नुकसान को उम्मीद में बदल देता है। इस मामले में, मृतका के परिजनों द्वारा अंगदान के फैसले से एक अन्य मरीज को नया जीवन मिला है। डॉ गुरविंदर कौर, फेसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल, वसंत कुंज ने कहा यह मामला अंगदान की ताकत और दूसरों का जीवन बचाने में अंगदान के अविश्वसनीय प्रभावों को दर्शाता है। हमें पूरी उम्मीद है कि ऐसे मामले भविष्य में अन्य परिवारों को भी इस प्रकार के परोपकारी कार्य के लिए आगे आने को प्रेरित करेंगे। नोटो (नेशनल ऑर्गेन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइज़ेशन - NOTTO) के अनुसार, भारत में अंगदान करने वाले लोगों की भारी कमी है। जब किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है, तो अस्पतालों को मृतक के परिजनों को अंगदान करने के बारे में परामर्श देने की मंजूरी दी गई है। इस संबंध में, नोटो के निर्धारित मापदंडों और मार्गदर्शी निर्देशों के मुताबिक, इलाज करने वाला अस्पताल ही संभावित अंगदान करने के बाद सभी जरूरी सूचनाओं तथा आवश्यक मंजूरियों को जुटाने के लिए जिम्मेदार होता है।

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