कालका और केहलो क़ो वोटिंग का भी अधिकार नहीं : जीके

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, वीरवार 26 जून 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। शिरोमणी अकाली दल से संबंधित दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों के आज हुए कार्यकारिणी चुनावों का बहिष्कार किया। साथ ही अकाली नेताओं ने उक्त चुनाव प्रक्रिया को अवैध और सरकारी संरक्षण में किया गया सरकार प्रायोजित तमाशा भी बताया है। इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना और मनजीत सिंह जीके ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन सौंपकर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और प्रवेश वर्मा द्वारा गुरुद्वारा प्रशासन में बेशर्मी से हस्तक्षेप करने की जानकारी दी है। सरना ने कहा कि दिल्ली कमेटी के आंतरिक चुनाव पंथ की सेवा के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक नियंत्रण को मजबूत करने के लिए रची गई एक धोखाधड़ी प्रक्रिया है। पिछले तीन वर्षों से पारंपरिक अकाली पक्ष को अस्थिर करने के लिए सिरसा द्वारा एक सुनियोजित अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए सरना ने कहा कि विपक्ष को तोड़ने और पारंपरिक अकाली आधार को कमजोर करने के लिए झूठे मामलों, रिश्वत और जबरदस्ती का जहरीला मिश्रण तैयार किया गया है। सरना ने भाजपा का नाम लिए बिना सख्त लहजे में कहा कि आपातकाल की दुहाई देने वाले तो इंदिरा गांधी के भी बाप निकले हैं। जिन्होंने गुरुद्वारा प्रबंध की लोकतांत्रिक हत्या की है। इसलिए इस द्रोह कमाने वाले नेस्तनाबूद जरूर होंगे। 

जीके ने कार्यकारणी के चुनाव मे कोर्ट के अपराधी घोषित किये हुये कमेटी के प्रधान कालका और महासचिव केहलो क़ो वोट देने और  चुनाव लड़ने का भी अधिकार कोर्ट ने छीन लिये है उनपर 450 करोड़ के गबन का आरोप है, फिर भी दोनों ने चुनाव लड़ा,पुराने पदाधिकारियों की पुनर्नियुक्ति पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या इस बार नए 5 पदाधिकारियों और 10 कार्यकारिणी सदस्यों के नाम वाला लिफाफा रेखा गुप्ता ने भेजा था या यह लिफाफा भाजपा कार्यालय से आया था? जीके ने कहा कि आपातकाल की पचासवीं वर्षगांठ के अवसर पर एक तरफ सरकार "संविधान हत्या दिवस" ​​मना रही है लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली कमेटी के संविधान की मूल भावना की हत्या की जा रही है। इस कारण हमारे सदस्य जनरल हाऊस की मीटिंग में नहीं गए। हालांकि सुरिंदर सिंह दारा और महिंदर सिंह, जिन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा वोट देने का अधिकार दिया गया था, बैठक में गए थे। जहां उन्होंने निदेशक गुरुद्वारा चुनाव को एक ज्ञापन सौंप करके मांग की कि हरमीत सिंह कालका और जगदीप सिंह काहलों की अयोग्यता का हवाला देते हुए उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देने की मांग की थी।

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