सरस्वती मेडिकल कॉलेज में मरीज़ों के साथ अनैतिक खिलवाड़

 

गलत बिमारी बताकर मेरठ के लिए करते हैं रैफर 

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, शुक्रवार 10 अक्टूबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी (8803818844), पिलखुवा। सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस, पिलखुवा में मरीज़ों की बीमारी का गलत डाइग्नोज़, गलत इलाज और फिर केस बिगड़ने पर मेरठ के बड़े अस्पतालों में रैफर करना आम हो गया है। दरअसल मेडिकल छात्रों को ऑन ग्राउंड एक्सपीरिएंस देने के लिए मरीज़ों का इलाज उन छात्रों से करवाया जाता है, जिनकों अभी मेडिकल डिग्री नहीं मिली है। ज़ाहिर है कि गैरतज़ुरबा छात्रों से अकसर चूक हो जाती है, जिसका खामयाज़ा मरीजों और उनके घर वालों को झेलना पड़ता है। हाल ही में हापुड़ निवासी 77 वर्षीय वीर सिंह को पेट में दर्द की तकलीफ हुई, जिसके इलाज के लिए उन्हें सरस्वती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। दर्द की वजह जानने के लिए ज़रूरी जांच के साथ अल्ट्रासाउंड भी किया गया, लेकिन बावजूद इसके बिमारी का गलत डाइग्नोज़ हुआ। चौंकाने वाली बात है कि जूनियर रेसिडेंट डॉक्टर मोहित सिआग ने पेट में अलसर की तकलीफ बताई और मरीज़ को तुरंत मेरठ के किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। डॉक्टर के मुताबिक मरीज़ की हालत क्रीटिकल बताते हुए चेतावनी दी गई कि अलसर किसी भी पल पेट में फट सकता है। ऐसे में मरीज़ के तिमरदारों ने एम्स के लिए रैफर करने के लिए कहा, लेकिन अस्पताल ने एम्स के लिए रैफर करने से मना कर दिया। इस संबंध में अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी दीपक रघु से बात की गई तो उन्होनें कहा “  किसी मरीज़ को एम्स के लिए रैफर करना अस्पताल के अधिकारिक क्षेत्र से बाहर है ”  । वहीं जब दीपक रघु से पूछा गया कि क्या सरस्वती मेडिकल कॉलेज से इंटर्नशिप के लिए छात्र एम्स जाते हैं, तो उनका जवाब हां था। 

रैफर न करने के बावजूद वीर सिंह के पुत्र अपने पिता को एम्स एमरजेंसी में ले गए, जहां जांच के बाद पता लगा कि मरीज़ को अलसर जैसी कोई बिमारी नहीं है। केवल मल निस्तारष करने वाले रास्ते में कब्ज़ से सख्त हुआ मल का एक टुकड़ा अटक गया है, जिसकी वजह से पेट में दर्द की स्थिति बनी। एक मामूली दवा से मरीज़ को मात्र 5 मिनट में राहत मिल गई और इलाज पूर्ण हो गया। बिमारी के गलत डाइग्नोज़ होने के विषय में जब स्थानिय मरीजों से बात की गई तो उन्होनें कहा की सरस्वती मेडिकल कॉलेज में ये आम हो गया है, मरीज़ कम पैसों में इलाज के लिए सरस्वती मेडिकल कॉलेज पहुंचते हैं। लेकिन अंत में बड़े अस्पतालों में रैफर करने की वजह से उन्की जेब पर कई गुना बोझ बढ़ जाता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया से निलंबित पूर्व अध्यक्ष एस.कुमार ने गैर कानूनी तरिके से किया सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया का विस्तार, जल्द होगी कानूनी कार्यवाही