पुरुष बांझपन पर बढ़ी नई जागरूकता
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, मंगलवार 25 नवंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), पुणे। भारत में बांझपन से बहुत से दंपति परेशान हैं, लेकिन इसके बावजूद जागरूकता की काफी कमी है, खास तौर पर पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, जांच अक्सर महिलाओं पर केंद्रित होती है, भले ही बांझपन से जुड़े 50% मामलों में पुरुषों से जुड़ी समस्या का हाथ होता है। समाज में झिझक, वर्जना और देर से जांच की वजह से अक्सर समय पर निदान नहीं हो पाता, जिससे दंपतियों की पूरी प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) प्रोफाइल को समझना मुश्किल होता है। इंदिरा आईवीएफ पुणे में हाल ही में आए एक मामले से पता चलता है कि पुरुषों की जल्दी जांच क्यों ज़रूरी है। पुणे के एक दंपति, 36 साल के पति और 34 साल की पत्नी, जिनकी शादी को पांच साल हो गए थे, वे चार साल से बच्चे के लिए प्रयास कर रहे थे। उन्होंने फर्टिलिटी का आकलन करवाया था। पत्नी ने पूरी जांच करा ली थी लेकिन पति की जांच कभी नहीं हुई। पूरी जांच से विशेष तौर पर पुरुषों से जुड़े प्रजनन से जुड़े तत्वों का पता चला जिन पर पूरा ध्यान देने की ज़रूरत थी।
इंदिरा आईवीएफ पुणे में आईवीएफ स्पेशलिस्ट, डॉ. अमोल सुभाष लुंकड़ ने कहा पुरुषों से जुड़ी प्रजनन समस्या को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है क्योंकि पारंपरिक रूप से जांच महिलाओं से शुरू होती है। कई पुरुष सामाजिक भेदभाव के कारण जांच से बचते हैं, जिससे प्रजनन से जुड़ी अंदरूनी समस्याओं का सालों तक पता नहीं चल पाता। समय पर जांच से हम विशेष उपचार योजना बना पाते हैं और दंपतियों को स्वस्थ गर्भाधान का बेहतर मौका मिलता है। उक्त मामले में, जेनेटिक (आनुवंशिक) और हार्मोनल जांच से क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (47, एक्सएक्सवाय), एफएसएच में बढ़ोतरी, और कम टेस्टोस्टेरोन की पुष्टि हुई। मल्टीडिसिप्लिनरी (विभिन्न किस्म की विशेषज्ञताओं वाली) टीम ने दंपति की व्यक्तिगत ज़रूरत के मुताबिक उपचार योजना बनाई जिसमें माइक्रो-टीईएसई (सर्जिकल स्पर्म एक्सट्रैक्शन), लेज़र हैचिंग के साथ आईसीएसआई-आईवीएफ, एम्ब्रियो की पीजीटी-ए जेनेटिक स्क्रीनिंग, स्पर्म संरक्षण (प्रेज़र्वेशन), और वैयक्तिकृत हार्मोनल तैयारी के बाद फ्रोज़न एम्ब्रियो ट्रांसफर शामिल था।
दंपति को उपचार के बाद एक स्वस्थ बच्चा हुआ जिसमें किसी तरह की जेनेटिक (आनुवंशिक) असामान्यता नहीं थी। उनका अनुभव हमें याद दिलाता है कि पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में ज़्यादा जानकारी और खुली बातचीत की ज़रूरत है। कई पुरुष झिझक या भेदभाव के कारण जांच कराने में देरी करते हैं, भले ही समय पर जांच से ऐसी परेशानियों का पता चल सकता हो जो सालों तक छिपी रहती हैं। जब पुरुष जल्दी जांच कराते हैं और फर्टिलिटी को अपने पूरे स्वास्थ्य का ज़रूरी हिस्सा मानते हैं, तो दंपतियों को उचित मार्गदर्शन मिलता है और बेवजह की देरी से बचा जा सकता है। इन चीज़ों पर बातचीत को सामान्य बनाने से बांझपन को औरत का बोझ समझने की गलती से बचने में मदद मिलती है और हर दंपति के लिए ज़्यादा संतुलित और सटीक प्रक्रिया अपनाने में मदद मिलती है।



टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें