विश्वगुरु सम्मान उडुपी श्रीकृष्ण को समर्पित समारोह हुआ आयोजित
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, मंगलवार 22 दिसंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। उडुपी श्रीकृष्ण मठ में चल रहे विश्व गीता पर्याय के अंतर्गत श्री पुत्तिगे श्रीकृष्ण मठ एवं इस्कॉन बेंगलुरु के संयुक्त तत्वावधान में उडुपी के राजांगण में श्रीकृष्ण समर्पणोत्सव का गरिमामय आयोजन किया गया, जिसमें महाकुंभ मेला में इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य श्रील ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद को प्रदत्त ‘विश्वगुरु’ सम्मान को उडुपी श्रीकृष्ण के पावन चरणकमलों में श्रद्धापूर्वक समर्पित किया गया। यह भव्य समर्पणोत्सव, पर्याय श्री पुत्तिगे श्रीकृष्ण मठ, उडुपी के पीठाधीश परम पूज्य श्री श्री सुगुणेन्द्र तीर्थ स्वामीजी एवं उनके शिष्य श्रीपद परम पूज्य श्री श्री सुष्रीन्द्र तीर्थ स्वामीजी की पावन उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस सुवसर पर हरिद्वार के निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर परम पूज्य कैलाशानंद गिरी महाराज विशेष रूप से इस अवसर पर उडुपी पधारे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री मधु पंडित दास, चेयरमैन एवं मेंटर, ग्लोबल हरे कृष्ण मूवमेंट, चेयरमैन अक्षय पात्र फाउंडेशन तथा अध्यक्ष, इस्कॉन बेंगलुरु ने की। वहीं श्री चंचलापति दास, वाइस चेयरमैन एवं सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, इस्कॉन बेंगलुरु समूह के वरिष्ठ प्रचारक, तथा देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 2025 के दौरान इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य परम पूज्य ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद को ‘विश्वगुरु’ की प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित किया था। परम पूज्य कैलाशानंद गिरी महाराज एवं अन्य अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने सनातन धर्म और मानवता के लिए श्रील प्रभुपाद के अतुलनीय योगदान को सम्मानित किया। श्रीकृष्ण समर्पणोत्सव का आयोजन परम पूज्य श्री श्री सुगुणेन्द्र तीर्थ स्वामीजी के मार्गदर्शन में हुआ, जिन्होंने पिछले वर्ष ऐतिहासिक रूप से चौथी बार पर्याय पीठ का आरोहण किया। श्रील प्रभुपाद श्री ब्रह्मा-माध्व गौड़ीय संप्रदाय के एक सशक्त वैष्णव आचार्य थे। उन्होंने भारत की शाश्वत आध्यात्मिक ज्ञान परंपरा, संस्कृति और जीवनशैली को विश्वभर में पहुँचाया। भगवान श्रीकृष्ण के संदेश के प्रचार में उनके अग्रणी प्रयासों ने विश्वभर में लाखों लोगों के जीवन को रूपांतरित किया।
समारोह का शुभारंभ गीता पारायण, हरिनाम संकीर्तन एवं दासरा पदगलु (कन्नड़ वैष्णव संत-कवियों द्वारा रचित भक्ति गीतों) से हुआ। श्रील प्रभुपाद द्वारा यह सम्मान उडुपी श्रीकृष्ण को अर्पित करते हुए दर्शाने वाली प्रतीकात्मक छवि से युक्त एक सुंदर पट्टिका का अनावरण किया गया। इस अवसर पर डॉ. कब्बिनाले वसंत भारद्वाज, कर्नाटक तुलु साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध विद्वान द्वारा रचित ‘श्रील प्रभुपाद चरितामृतम् : कन्नड़ महाकाव्य’ का विमोचन किया गया। यह अपने प्रकार का पहला कन्नड़ महाकाव्य है, जो अष्टादश पदी छंद में रचित है और प्राचीन व आधुनिक कन्नड़ का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। विद्वानों एवं बुद्धिजीवियों ने इस ग्रंथ की सराहना की है। उडुपी मठ की रंगीन एवं परम पूज्य कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा उडुपी भगवान श्रीकृष्ण और श्री माध्वाचार्य की पवित्र भूमि है। मुझे भगवान ने यह सौभाग्य दिया कि मैं उनके प्रिय सेवक श्रील प्रभुपाद को ‘विश्वगुरु’ सम्मान प्रदान कर सका। यह सम्मान बहुत पहले मिलना चाहिए था। यह अवसर अत्यंत दुर्लभ है और समस्त विश्व के भक्त इससे हर्षित हैं।



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