डॉ. करण सिंह ने ITRHD के तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का किया उद्घाटन

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, शनिवार 29 नवंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। इंडियन ट्रस्ट फॉर रूरल हेरिटेज एंड डेवलपमेंट (ITRHD) ने आज डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में ग्रामीण बौद्ध धरोहर के संरक्षण पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन में प्रमुख विद्वान, संरक्षण विशेषज्ञ, नीति निर्माता, प्रैक्टिशनर्स, अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ और मठीय प्रतिनिधि शामिल हुए, जो भारत की विशाल लेकिन ज्यादातर अविकसित ग्रामीण बौद्ध धरोहर के संरक्षण से जुड़े मुद्दों और अवसरों पर विचार करने के लिए एकत्रित हुए। सम्मेलन का उद्घाटन मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसके बाद ITRHD के अध्यक्ष श्री एस. के. मिश्रा ने मुख्य भाषण दिया। सुबह के सत्र में पद्म विभूषण डॉ. करण सिंह, धर्माचार्य शान्तुम सेठ और अन्य गणमान्य अतिथियों के संबोधन शामिल थे। इस दौरान ITRHD जर्नल ऑन बौद्ध स्टडीज़ का भी विमोचन किया गया।

श्री एस. के. मिश्रा ने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए ITRHD द्वारा ग्रामीण धरोहर स्थलों के पुनरोद्धार के प्रयासों को साझा किया। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में पांच एकड़ भूमि नए अकादमी के लिए आवंटित की गई है, जो ग्रामीण बौद्ध धरोहर के संरक्षण और विकास के लिए समर्पित होगी। श्री मिश्रा ने कहा कि यह परियोजना महत्वाकांक्षी है, लेकिन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी से अपील की कि ग्रामीण स्थलों के दस्तावेजीकरण और संरक्षण में सहयोग करें और यह याद दिलाया कि स्थानीय समुदाय ही इन धरोहरों के असली संरक्षक हैं।

पद्म विभूषण डॉ. करण सिंह ने अपने संबोधन में कहा भारत की ताकत उसकी बहुलता में है। उन्होंने बताया कि यद्यपि आज बौद्ध धर्म के अनुयायी कम हैं, फिर भी इसने देश की सांस्कृतिक धरोहर पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने ग्रामीण बौद्ध स्थलों के संरक्षण के प्रयासों का स्वागत करते हुए जोर दिया कि स्थानीय समुदायों को इसे अपनी धरोहर मानना चाहिए। उन्होंने कहा भारत हमेशा बुद्ध की भूमि रहेगा,” और लोगों से आग्रह किया कि वे विभाजन से ऊपर उठकर सहयोग और सामंजस्य की भावना में काम करें।

धर्माचार्य शान्तुम सेठ ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिल्पकारों द्वारा पत्थर और वस्त्र कार्य से लेकर स्थानीय पाककला तक की परंपराओं को संरक्षित करने की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा भारतीयों को बुद्ध को अपने पूर्वज के रूप में पुनः स्वीकार करना चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि अन्य देशों जैसे चीन, बौद्ध तीर्थ स्थलों के विकास में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि बौद्ध धरोहर का पुनरुद्धार “संगठित कार्य” है, जिसमें सभी को शामिल होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महासंघ के महानिदेशक श्री अभिजीत हलदर ने कहा बुद्ध की शिक्षाएँ हमें याद दिलाती हैं कि संरक्षण सभी की जिम्मेदारी है। जब समुदाय फल-फूलते हैं, तब ही स्मारक और मठ जीवंत रहते हैं। ग्रामीण बौद्ध धरोहर का संरक्षण केवल संरचनाओं के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों, परंपराओं और पारिस्थितिक तंत्रों के लिए है जो इन्हें संजोते हैं। प्रो. ए. जी. के. मेनन ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए भारत की बौद्ध धरोहर के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला और ग्रामीण बौद्ध धरोहर अकादमी के निर्माण में योगदान देने वाले सभी लोगों की सराहना की।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया से निलंबित पूर्व अध्यक्ष एस.कुमार ने गैर कानूनी तरिके से किया सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया का विस्तार, जल्द होगी कानूनी कार्यवाही