इंडिया–जापान हायर एजुकेशन कॉन्क्लेव 2025 की शुरुआत
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, बुधवार 10 दिसंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने इंडिया–जापान हायर एजुकेशन कॉन्क्लेव 2025 की शुरुआत के अवसर पर टोक्यो विश्वविद्यालय (यू–टोक्यो) के वरिष्ठ प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की। यू–टोक्यो के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रोफेसर (डॉ.) काओरी हयाशी, कार्यकारी उपाध्यक्ष (ग्लोबल एवं डाइवर्सिटी अफेयर्स), ने किया। उनके साथ प्रोफेसर (डॉ.) यूजिन यागुची, उपाध्यक्ष (ग्लोबल एजुकेशन) एवं सेंटर फॉर ग्लोबल एजुकेशन (GlobE) के निदेशक, तथा प्रोफेसर (डॉ.) सत्सुकी शियोयामा, ग्लोबे की प्रोजेक्ट रिसर्च एसोसिएट, उपस्थित रहीं। छह-दिवसीय यह भारत यात्रा दिल्ली, अहमदाबाद और बेंगलुरु को जोड़ते हुए थीम भविष्य की वैश्विक शिक्षा ज्ञान और नवाचार में भारत और जापान की नेतृत्वकारी भूमिका पर केंद्रित है। यह यात्रा जेजीयू की “ऐक्ट ईस्ट” पहल का प्रमुख हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जापान और व्यापक इंडो–पैसिफिक क्षेत्र के साथ रणनीतिक एवं भविष्यमुखी उच्च शिक्षा सहयोग को मजबूत करना है। जेजीयू वर्तमान में टोक्यो विश्वविद्यालय के साथ संस्थागत साझेदारी करने वाला एकमात्र* भारतीय विश्वविद्यालय है, जो इस सहयोग की विशिष्टता और रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है। इस संबंध को आगे बढ़ाते हुए जेजीयू अब तक जापान की अग्रणी संस्थाओं के साथ 25 से अधिक विश्वविद्यालय स्तरीय साझेदारियाँ स्थापित कर चुका है।
उद्घाटन सत्र में जेजीयू के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने कहा यह इंडिया टूर जेजीयू की ऐक्ट ईस्ट पहल को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाता है और भारत–जापान रणनीतिक साझेदारी के केंद्र में उच्च शिक्षा को स्थापित करता है। टोक्यो विश्वविद्यालय के साथ हमारी विशेष साझेदारी अनुसंधान, विद्वानों के आदान–प्रदान और शैक्षणिक सहयोग के नए अवसर खोलेगी, जो शिक्षा, तकनीक और नवाचार में द्विपक्षीय प्राथमिकताओं को सीधे समर्थन देती हैं। कॉन्क्लेव में विश्वविद्यालयों के प्रमुखों, नीति–निर्माताओं, शिक्षाविदों और विद्यार्थियों ने वैश्विक उच्च शिक्षा के बदलते परिदृश्य तथा भारत–जापान शैक्षणिक सहयोग के भविष्य पर चर्चा की। दिल्ली, अहमदाबाद और बेंगलुरु में आयोजित कार्यक्रमों में उच्चस्तरीय नीति–संवाद, विश्वविद्यालय स्तरीय दौरे, मीडिया परिचर्चाएँ और नेटवर्किंग सत्र शामिल हैं, जिनका उद्देश्य संयुक्त शिक्षण, शोध और नवाचार के दीर्घकालिक रोडमैप का निर्माण है।
यू–टोक्यो का यह प्रतिनिधिमंडल वैश्विक शिक्षा, विविधता एवं समावेशन तथा सतत शैक्षणिक साझेदारियों के भविष्य पर भारत के साथ गहन सहयोग की मंशा को स्पष्ट करता है। प्रोफेसर काओरी हयाशी ने जेजीयू की वैश्विक प्रतिबद्धताओं की सराहना करते हुए कहा जेजीयू परिसर का पुनः दौरा कर मैं बहुत प्रसन्न हुई। नए संविधान संग्रहालय और मूoot कोर्ट जैसी सुविधाएँ अत्यंत प्रभावशाली हैं। विश्वविद्यालय की दृष्टि और दर्शन पूरे परिसर में परिलक्षित होते हैं। विशेष रूप से, विविधता और समावेशन के प्रति संस्था की प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है। मुझे भरोसा है कि यू–टोक्यो और जेजीयू के साथ–साथ भारत और जापान के अन्य विश्वविद्यालयों के बीच भी भविष्य में मजबूत सहयोग की अपार संभावनाएँ हैं।
प्रोफेसर (डॉ.) यूजिन यागुची ने छात्र एवं शैक्षणिक आदान–प्रदान, संयुक्त एवं द्वैध डिग्री कार्यक्रमों और वैश्विक शिक्षा मार्गों के निर्माण पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा जेजीयू और यू–टोक्यो के बीच बढ़ते शैक्षणिक सहयोग को देखकर मैं अत्यंत उत्साहित हूँ। हम जेजीयू द्वारा अपने विद्यार्थियों को जापान भेजकर उनकी वैश्विक दृष्टि विकसित करने के प्रयासों की सराहना करते हैं और अपने छात्रों को भी भारत लाने के अवसर बढ़ाने की आशा रखते हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे विद्यार्थियों के बीच बनी मित्रता भविष्य में दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगी। प्रोफेसर (डॉ.) सत्सुकी शियोयामा ने दक्षिण एशियाई संदर्भ, तुलनात्मक शिक्षा और जेंडर–संवेदनशील दृष्टिकोणों को चर्चाओं में शामिल करते हुए ज्ञान–विनिमय को अधिक समावेशी, संतुलित और टिकाऊ बनाने पर जोर दिया। भारत यात्रा के दौरान दोनों विश्वविद्यालयों ने सहयोग के नए ढांचे विकसित करने पर चर्चा की। प्रमुख क्षेत्रों में छात्र और संकाय गतिशीलता, संयुक्त व द्वैध डिग्री कार्यक्रम, अल्पकालिक शैक्षणिक एक्सचेंज, तुलनात्मक एवं सहयोगी शोध परियोजनाएँ और संयुक्त शिक्षण–अध्यापन प्रारूप शामिल रहे।
जेजीयू के अंतरराष्ट्रीय मामलों एवं वैश्विक पहलों के उप डीन, प्रोफेसर (डॉ.) अखिल भारद्वाज ने कहा यू–टोक्यो के साथ इस त्रि–सिटी इंडिया टूर के माध्यम से संकाय विनिमय, छात्र गतिशीलता और उद्योग–अकादमिक–सरकारी सहयोग पर आधारित दीर्घकालिक साझेदारियों की मजबूत नींव रखी जाएगी। प्रतिनिधिमंडल अपनी भारत यात्रा का समापन 12 दिसंबर 2025 को करेगा। यह यात्रा जेजीयू–यू–टोक्यो सहयोग को और गहरा करने तथा भारत–जापान के बीच भविष्य–उन्मुख, लचीले और वैश्विक ज्ञान–नवाचार केन्द्रित उच्च शिक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप तैयार करेगी।



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