केवट राम संवाद सुन भावविभोर हुए श्रोता
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, शनिवार 12 अप्रैल 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), गौतमबुद्ध नगर। सेक्टर 82 स्थित ईडब्ल्यूएस पॉकेट 7 में आयोजित श्रीराम कथा के छठवें दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी पंचमानंद महाराज ने आगे का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान राम, माता सीता और सभी भाइयों के विवाह के बाद अवध में आ जाते हैं । महाराज दशरथ गुरु से आज्ञा लेकर राम को युवराज बनाने की घोषणा करते है पूरी अयोध्या में खुशी छा जाती है। सभी देवता यह जानकर परेशान हो जाते हैं कि अगर राम का राज्याभिषेक हो जाएगा तो राक्षसों का वध कैसे होगा। सरस्वती जी से सभी प्रार्थना करते हैं और सरस्वती जी मंथरा की बुद्धि को पलट देती हैं वह कैकयी को अपने दो वरदान राजा दशरथ से मांगने के लिए कहती है। कैकयी कोपभवन में चली जाती है और दशरथ से दो वरदान मांगती है कि भरत को राज्य और राम को वनवास। दशरथ जी अचेत हो जाते है। रामजी लक्ष्मण और सीता के साथ वन को चले जाते हैं। केवट प्रसंग सुनाते हुए व्यास जी ने बताया कि गंगा किनारे पहुंचने पर केवट से नाव लाने को कहते है। मांगी नाव न केवट आना कहहु तुम्हार मरमु में जाना केवट कहता है कि मैं तुम्हारा मर्म जनता हूँ।
जिनकी चरण रज लगते ही पत्थर की शिला नारी बन गयी अगर मेरी नाव भी नारी बन गयी तो मेरी रोजी रोटी का क्या होगा। बिना पैर धुलवाए आपको नाव में नहीं बैठाउँगा। अति आनंद उमगि अनुरागा, चरण सरोज पखारन लागा। ऐसा कहकर भगवान राम , लक्ष्मण और सीता के पैर धोकर पूरे परिवार सहित उस चरणोदक को पीता है। इसके बाद गंगा के पार उतारता है। इस अवसर पर आरडब्ल्यूए अध्यक्ष राघवेंद्र दुबे ने बताया कि 12 अप्रैल को राम और भारद्वाज मुनि का संवाद सहित कई प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा। इस मौके पर देवमणि शुक्ल , रवि राघव, गोरे लाल, रमेश वर्मा, संजय पांडे, हरि सिंह, संजय शुक्ला, रमेश दास, जितेंद्र सतपति, उमाकांत त्रिपाठी, विष्णु शर्मा, विकास शर्मा, विश्वनाथ त्रिपाठी, गौरव, रविंद्र कुमार ,हंसमणि शुक्ला, अंगद सिंह तोमर, देवेंद्र गुप्ता, बहादुर चौहान,संदीप, संगम प्रसाद मिश्रा, प्रकाश जोशी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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