ताज वेलनेस एवं योग दिवस 2025 बना योग, संस्कृति और कूटनीति के संगम का अद्वितीय उदाहरण

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, रविवार 22 जून 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। योग, संस्कृति और कूटनीति के संगम का अद्वितीय उदाहरण बना आज आयोजित "ताज वेलनेस एवं योग दिवस" का भव्य आयोजन, जिसमें अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों, राजनयिकों, कलाकारों और वेलनेस विशेषज्ञों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर यूरोपीय संघ के भारत स्थित प्रतिनिधिमंडल के अनुसंधान एवं नवाचार प्रमुख श्री पियरिक फिलॉन-अशीदा और उनकी पत्नी सुश्री मारिको विशेष रूप से उपस्थित रहे। दोनों ही अंतरसांस्कृतिक संवाद और स्वास्थ्य के क्षेत्र में रुचि के लिए जाने जाते हैं। जर्मन दूतावास के प्रतिनिधियों, कला, सिनेमा और सांस्कृतिक कूटनीति के क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तित्वों और दुनिया भर से आए योग साधकों ने इस आयोजन को वैश्विक रंग प्रदान किया। ताज वेलनेस सेंटर की शांत और सुंदर पृष्ठभूमि में यह आयोजन हुआ, जिसमें निर्देशित योग सत्र, समग्र स्वास्थ्य पर संवाद, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ सम्मिलित थीं जिन्होंने भारत की प्राचीन योग परंपरा को वैश्विक संदर्भ में जीवंत किया।

श्री पियरिक फिलॉन-अशीदा ने कहा योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं, बल्कि एक जीवनदर्शन है, जो हमारी आपस में जुड़ी, शांतिपूर्ण और टिकाऊ दुनिया की कल्पना से गहराई से जुड़ा है। विज्ञान और परंपरा का यह समावेश प्रेरणादायक है। भारत की सांस्कृतिक विरासत आज भी देशों और लोगों के बीच सेतु का कार्य कर रही है। सुश्री मारिको ने सत्र में भाग लेने के बाद कहा आज का योग अभ्यास केवल ताजगी देने वाला नहीं था, बल्कि यह एक गहरा, एकजुटता और जागरूकता से भरा अनुभव था वे मूल्य जिनकी आज दुनिया को सबसे अधिक आवश्यकता है। जर्मन दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा योग एक साझा वैश्विक धरोहर है, जो सीमाओं से परे है। आज के इस आयोजन ने दिखा दिया कि कैसे भारत की पारंपरिक पद्धतियाँ आज के दौर में मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सकारात्मक योगदान दे रही हैं। यह आयोजन 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया, जिसकी थीम रही "वन अर्थ, वन हेल्थ जो भारत के वैश्विक स्वास्थ्य और सतत जीवन के आह्वान के अनुरूप है। इस सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता से समृद्ध आयोजन ने एक साधारण योग सत्र को सभ्यताओं के बीच जीवंत संवाद में बदल दिया जहाँ साँसों ने उन दूरियों को मिटाया, जिन्हें सीमाएँ अक्सर बना देती हैं।

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