सर्वोदय हॉस्पिटल ने 165 किलो वजन वाले मरीज के दोनों हिप का AVN ऑपरेशन किया

शब्दवाणी सम्माचार टीवी, शनिवार 13 दिसंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। सर्वोदय हॉस्पिटल, सेक्टर 8, फरीदाबाद ने एक बेहद जटिल केस को सफलतापूर्वक पूरा करते हुए चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल ने 27 वर्षीय, 165 किलो वजन वाले मरीज के दोनों हिप में हुए Avascular Necrosis (AVN) का सफल इलाज किया है।मरीज रोहित मुंद्रा, जो कोलकाता के रहने वाले हैं, दोनों हिप में गंभीर AVN से परेशान थे—यह समस्या आजकल युवाओं में तेजी से बढ़ रही है और चलना-फिरना बेहद मुश्किल बना देती है। उनके लिए हालत और कठिन इसलिए थी क्योंकि उन्हें क्लास III मोटापा था, जो मोटापे का सबसे गंभीर स्तर माना जाता है। इससे डायबिटीज, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, नींद की समस्याएँ, जोड़ों का नुकसान और कई अन्य स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं। इतना वजन होने के कारण सर्जरी और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है और इसे केवल अनुभवी विशेषज्ञ ही कर सकते हैं। भारत में मोटापे से प्रभावित लोगों की संख्या 135 मिलियन से ज़्यादा हो चुकी है, और शहरी युवाओं में लगभग 5% क्लास III मोटापे के शिकार हैं। यह स्थिति जोड़ों को जल्दी खराब कर देती है और कई बार सर्जरी की जरूरत पड़ती है। वहीं, AVN के मामलों में भी पिछले 10 सालों में 30% की बढ़ोतरी देखी गई है, जो अकसर स्टेरॉयड के इस्तेमाल, शराब सेवन और देर से पहचान होने के कारण बढ़ती है। रोहित की एक तरफ की हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी पिछले साल ही सर्वोदय में की गई थी, जो बेहद सफल रही। उसके बाद अच्छे परिणाम देखकर वह 2025 में दूसरी हिप की सर्जरी के लिए वापस आए, और यह सर्जरी भी पूरी तरह सफल रही।

इस मामले पर बोलते हुए डॉ. पंकज वलेचा, डायरेक्टर और हेड रोबोटिक नी और मिनिमली इनवेसिव हिप रिप्लेसमेंट सर्वोदय हॉस्पिटल, ने कहा: “ऐसे केस के लिए बहुत अनुभव और पूरा तैयार सिस्टम चाहिए होता है। 165 किलो वजन वाले युवा पर टोटल हिप रिप्लेसमेंट करना आम बात नहीं है। इसके लिए बेहद सटीक प्लानिंग, उच्च स्तर की सर्जिकल स्किल और मल्टीडिसिप्लिनरी टीम का पूरा सहयोग जरूरी होता है। आजकल AVN तेजी से युवाओं में बढ़ रहा है, और हमारे OPD में ऐसे मरीज रोज आ रहे हैंभारत ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश और नेपाल से भी। उन्होंने यह भी बताया कि मोटापा न केवल जोड़ों को जल्दी खराब करता है, बल्कि हिप रिप्लेसमेंट को तकनीकी रूप से और कठिन बना देता है। ऐसे मामलों में उन्नत तकनीक, कस्टमाइज्ड इम्प्लांट और सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। यह सफलता साबित करती है कि सर्वोदय कठिन से कठिन ऑर्थोपेडिक मामलों को भी सुरक्षित और सही परिणामों के साथ संभाल सकता है।

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