सिंधी समाज अपनी संस्कृति को बचाने के लिए भूलेंगे अपने मतभेद
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, मंगलवार 16 दिसंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। सिंधी कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजित मासिक भंडारे के अवसर पर सिंधी कौंसिल ऑफ़ इंडिया (उत्तर भारत) के अध्यक्ष श्री अशोक लालवानी ने पत्रकारों से कहा सभी सरकारों ने भारत के सिंधी समाज को उनकी लुप्त होती संस्कृति, भाषा, वेशभूषा, खानपान, इत्यादि को बचाने की मांग पर उनसे वादा तो करती पर समय निकलने पर अपना वादा भूल जाती है। सिंधी समाज भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय से ही अपना सिंध राज्य की मांग और 26 जनवरी की झांकी में सिंध राज्य की झांकी को शामिल करने के साथ-साथ सिंधी समाज के भगवान चेटीचंड के अवतार दिवस पर एक छुट्टी की मांग करते आये है जबकि भगवान चेटीचंड के अवतार दिवस नववर्ष विक्रम संवत पर एक छुट्टी देना वर्तमान की केंद्र सरकार के लिए राजनितिक लाभदायक भी है कियोंकि उसी दिन हिंदू नववर्ष का पहला दिन होता है इसलिए भगवान चेटीचंड के अवतार दिवस छुट्टी देने से सिंधी समाज के साथ सभी हिन्दू समाज में ख़ुशी की लहर दौड़ जायेगी। उन्होंने आगे कहा अब सभी सिंधी समाज अपनी आपसी और राजनितिक मतभेद को छोड़कर भगवान् झूलेलाल के झंडे के नीचे खड़े हो गए हैं। अब अपना विरोध दिखाने के लिए प्रत्येक 26 जनवरी और भगवान चेटीचंड के अवतार दिवस नववर्ष विक्रम संवत पर सिंधी समाज से अपील करते है अपने-अपने मंदिर, टिकाने, गुरद्वारा, पंचायतें, सामाजिक और गैर सामाजिक संस्थाओं के आगे भगवान झूलेलाल और इनके झंडे की झांकी निकाले और उसी दिन अपने घरों में झंडा लगाएं।
इस अवसर पर श्री गोपाल देवनानी बैंकर एवं पूर्व सदस्य सिंधी अकादमी ने कहा हिन्दुस्तान का नाम सिंधु घाटी से आया है इसलिए जब तक सिंध राज्य नहीं बनता तब तक केंद्र सरकार सिंधी भवन बना दें ताकि सिंधी समाज अपनी लुप्त होती संस्कृति, भाषा, वेशभूषा, खानपान, इत्यादि को वहां संभालकर रखा जा सके। सिंधी समाज शुरू से ही भाजपा के साथ रहा है इसलिए वर्तमान सरकार सिंधी समाज से किया वादा जल्द से जल्द पूरा करें।
इस अवसर पर श्री गौतम थवानी ने कहा भगवान चेटीचंड के अवतार दिवस नववर्ष विक्रम संवत पर एक छुट्टी देना चाहिए कियोंकि उसी दिन हिंदू नववर्ष का पहला दिन होता है।
इस अवसर पर श्री नरेंदर मसनद कवर लाल मंदिर लाजपत नगर ने कहा सिंधी समाज का देश के विकास में सबसे बड़ा योगदान है कियोंकि सिंधी समाज सबसे ज्यादा टैक्स देता है फिर भी वर्तामन सरकार सिंधी समाज की भावनाओं का ध्यान नहीं देती है इसलिए अब सिंधी समाज एकजुट होकर कोई बड़ा निर्णय ले भी सकता है।
इस अवसर पर सिंधु समाज दिल्ली के अध्यक्ष श्री जगदीश नागरानी, महासचिव श्री नरेश बेलानी और कोषाध्यक्ष श्री कमल टेकचंदानी ने एक स्वर में कई आवश्यक कदमों का सुझाव दिया, जिनमें सिंधी विकास बोर्ड का गठन, सिंधी बाहुल राज्यों में सिंधु भवन की स्थापना, सिंधी साहित्य एवं अकादमियों का गठन, अनुसूचित जाति-जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग की आरक्षण सूची में सिंधी हिंदुओं को शामिल करना, युवा सिंधियों के लिए स्थानीय राजनीति में आरक्षण, सिविल सेवा मार्गदर्शन, सिंधी झांकी को राष्ट्रीय परेड में शामिल करना, और नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत सिंधी हिंदुओं को नागरिकता प्रदान करना प्रमुख हैं। उन्होंने आगे कहा कि विभाजन के समय विस्थापित सिंधियों को दिए गए कॉलोनियों की दयनीय स्थिति सुधारने और उनका मालिकाना हक देने की भी मांग की गई है।



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