सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रपति के राजभाषा आदेशों की अवज्ञा के खिलाफ होगा प्रदर्शन
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, वीरवार 3 जुलाई 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के दर्जन भर हिन्दी संगठनों की बैठक में फैसला लिया गया कि हिन्दी संगठन शुक्रवार 4 जुलाई की सुबह जन्तर मन्तर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश महामहिम राष्ट्रपति 24-11-98 के राजभाषा आदेशों की अवज्ञा करके संविधान के प्रति ली सत्य आस्था की शपथ भंग कर रहे हैं। यह जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति में वैश्विक हिन्दी सम्मेलन के अध्यक्ष श्री मोती लाल गुप्ता ने दी। बैठक में अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच के राष्ट्रीय महामंत्री श्री मुकेश जैन ने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति ने 24-11-98 को आदेश दिया था कि सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री का 100 प्रतिशत कार्य राजभाषा हिन्दी में किया जाये। सर्वोच्च न्यायालय में हिन्दी में याचिका स्वीकार की जाये और हिन्दी में आदेश भी दिये जाये। इसी के साथ जो आदेश अंग्रेजी में दिये जा रहे हें उनका हिन्दी में अनुवाद भी दिया जाये। श्री जैन ने बताया कि हमारे द्वारा बार-बार ज्ञापन दिये जाने के बाद सर्वोच्च न्यायलय ने अपने आदेशों का हिन्दी में अनुवाद देना तो शुरू किया किन्तु अभी तक एक भी आदेश हिन्दी में नहीं दिया। इतना ही नहीं सर्वोच्च न्यायालय की श्री दीपक मिश्रा की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने भी हमारी सबरीमाला मन्दिर मामले में हिन्दी में दायर याचिका पर भी 1 अगस्त 2018 को हिन्दी में सुनवाई की थी। जिसका अंग्रेजी अनुवाद भी हमने नहीं दिया था। बैठक में अखिल भारत भाषा संरक्षण संगठन के संयोजक हरपाल सिह राणा ने कहा कि यह चिन्ता की बात है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश ओर रजिस्ट्री महामहिम राष्ट्रपति के 24-11-98 के राजभाषा आदेशों की सरासर अवज्ञा कर रहे हैं। कानून के रक्षक ही कानून के भक्षक बन गये है। श्री राणा ने सभी हिन्दी संगठनों से अनुरोध किया कि वें 4 जुलाई को जन्तर-मन्तर पर पहुंच कर जजों के गली के गुन्डों जैसे रवैय्ये के खिलाफ एक जुट होकर आवाज उठाये।
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