पंच प्यारे को पांच हिंदू कहे जाने पर तरलोचन सिंह ने सिखों के इतिहास क़ो तोड़ मरोड़ कर किया पेश : सरना
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, सोमवार 14 जुलाई 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने पूर्व सांसद और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन तरलोचन सिंह पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि वे अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए सिख इतिहास को योजनाबद्ध तरीके से तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं — जिसमें यह “हैरान करने वाला” दावा भी शामिल है कि सम्माननीय पंच प्यारे केवल “पांच हिंदू” थे। सरना ने तरलोचन सिंह के हालिया लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पंच प्यारों को हिंदू बताना न केवल ऐतिहासिक रूप से झूठा है बल्कि यह सिख पहचान पर सीधा हमला है। पंच प्यारों को पांच हिंदू कहकर तरलोचन सिंह बेशर्मी से उस कथानक को आगे बढ़ा रहे हैं कि 1469 में गुरु नानक देव जी के प्रकाश से लेकर 1699 में खालसा की स्थापना तक, सिख असल में कभी भी एक अलग धर्म के रूप में अस्तित्व में नहीं थे,” सरना ने आरोप लगाया। सरना ने आगे कहा यह कलम की कोई मासूम गलती नहीं है। यह सिख धर्म की विशिष्टता को कमजोर करने और बिगाड़ने की एक सोची-समझी कोशिश है ताकि यह उनके उन आकाओं की विचारधारा के अनुकूल हो सके, जिन्हें वे खुश करना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह हालिया विवाद तरलोचन सिंह के “पवित्र सिख इतिहास को झूठा साबित करने की लंबी और खतरनाक प्रवृत्ति” का हिस्सा है।
कई साल पहले भी राजनीतिक आकाओं को प्रसन्न करने की इसी भावना में, तरलोचन सिंह ने गुरु नानक देव जी की ऐतिहासिक बगदाद यात्रा से इनकार किया था, और उस महत्वपूर्ण यात्रा तथा अब्राहमिक धर्मों के साथ संवाद के सम्मान में बनाए गए गुरुद्वारे के अस्तित्व पर भी सवाल उठाए थे,” सरना ने खुलासा किया। ऐसी कार्रवाइयों को “पंथ के साथ विश्वासघात” बताते हुए, सरना ने सिख समुदाय को चेताया कि वे उन व्यक्तियों से सतर्क रहें जो अपने पदों का दुरुपयोग करके सिख इतिहास की बुनियादी सच्चाइयों को कमजोर करने की कोशिश करते हैं।सरना ने कहा यह कोई सामान्य राय नहीं बल्कि एक सोची-समझी और संगठित कोशिश है सिख चेतना को तोड़ने और इतिहास को उन लोगों के अनुकूल दोबारा लिखने की, जो सदा से हमें अपने कब्ज़े में लेने का प्रयास करते रहे हैं। सरना ने सभी जगह सिखों से अपील करते हुए कहा कि वे “ऐतिहासिक सच्चाई और सामुदायिक गरिमा की कीमत पर खेली जा रही इन खतरनाक चालों” से सतर्क रहें और कहा, “पंच प्यारों की विरासत से लेकर गुरु नानक साहिब की यात्राओं तक, हमारा इतिहास बिकाऊ नहीं है, और जो लोग इसे राजनीतिक लाभ के लिए नीलाम करने की कोशिश करते हैं, उन्हें खुद को सिख कहने का कोई हक़ नहीं है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें