एंडोमेट्रिओसिस के साथ नम्रता का माँ बनने का सपना हुआ साकार
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, शुक्रवार 18 जुलाई 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। निःसंतानता की समस्या किसी कपल के लिए बहुत दुखदाई होती है जिससे धीरे धीरे उनके निजी सम्बन्ध भी ख़राब होने लगते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बहुत ऊर्जा लगती है और लम्बे समय तक कन्सीव नहीं कर पाने पर समाज का दबाव भी बढ़ने लगता है। निःसंतानता कई कारणों से हो सकती है जिसमे से एक एंडोमेट्रिओसिस भी है। लेकिन आयुर्वेदिक उपचार द्वारा आप एंडोमेट्रिओसोस के बावजूद गर्भधारण कर सकती हैं और एक नॉर्मल ज़िन्दगी जी सकती हैं। आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा के अनुसार एंडोमेट्रिओसिस के बावजूद आप बिना सर्जरी गर्भधारण कर सकते हैं। आशा आयुर्वेदा के दिल्ली सेंटर का ऐसा ही एक मामला था जिसमे नम्रता को एंडोमेट्रिओसिस की समस्या थी। उनकी दाहिनी ओवरी में सिस्ट बनते थे। उनके लिए पीरियड्स के 6 दिन बहुत दर्दनाक होते थे। उन्होंने शुरूआती 1 से 2 महीने एलोपैथिक दवाइयां खाई जिनसे उन्हें कोई आराम नहीं मिला। उसके बाद उन्होंने अन्य इलाजों का पता लगाना शुरू किया जिस दौरान उन्हें आशा आयुर्वेदा के बारे में पता चला, जहाँ से इलाज कराने के बाद लोगों ने न सिर्फ एंडोमेट्रिओसिस को मात दी है बल्कि प्राकृतिक रूप से गर्भधारण भी किया है।
नम्रता ने 4 महीने तक आशा आयुर्वेदा में अपना उपचार करवाया जिसमे कड़वी दवाइयां और उत्तरबस्ती थेरेपी भी शामिल था। इन सबका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं हुआ बल्कि चार महीने बाद ही उनके पीरियड्स नियमित हो गए और पीरियड्स के दौरान होने वाला हैवी ब्लीडिंग और दर्द से भी राहत मिली। उन्होंने ट्रीटमेंट को और प्रभावशाली बनाने के लिए अपनी जीवनशैली में भी परिवर्तन किया। इसके परिणामस्वरूप उन्होंने प्राकृतिक रूप से कन्सीव किया और एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया। डॉ चंचल शर्मा बताती हैं कि एंडोमेट्रिओसिस के कारण आपके फैलोपियन ट्यूब की फंक्शनैलिटी कोम्प्रोमाईज़ हो जाती है जिसे आयुर्वेदिक उपचार द्वारा रिकवर किया जा सकता है। इससे आपके अंडो की गुणवत्ता में भी सुधार होता है और पीरियड्स के दौरान होने वाले असहनीय दर्द से भी राहत मिलता है। अक्सर लोगों को ऐसा लगता है कि एंडोमेट्रिओसिस का कोई इलाज नहीं है लेकिन यह सच नहीं है आयुर्वेदिक दवाओं की मदद से आप अपनी ज़िन्दगी को फिर से नॉर्मल तरीके से जी सकते हैं। नम्रता की बेटी अभी एक साल की हो चुकी है लेकिन उन्हें किसी प्रकार की दवाई नहीं खानी पड़ती है। वह पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जी रही है।
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