फोर्टिस शालीमार बाग ने मल्टीडिसीप्लीनरी चाइल्ड ओबेसिटी क्लीनिक किया शुरू
शब्दवाणी सम्माचार टीवी, मंगलवार 2 दिसंबर 2025 (प्रबंध सम्पादकीय श्री अशोक लालवानी 8803818844), नई दिल्ली। देश में बाल्यावस्था/बच्चों में बढ़ रही मोटापे की समस्या को कम करने के उद्देश्य से,फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग ने उत्तर भारत का पहला समर्पित मल्टीडिसीप्लीनरी चाइल्ड ओबेसिटी क्लीनिक लॉन्च किया है। इस क्लीनिक में पिडियाट्रिक्स, न्यूट्रिशन,एंडोक्राइनोलॉजी,फिजिकल ट्रेनिंग,साइकोलॉजी और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक छत के नीचे एकजुट किया गया है। क्लीनिकल का लॉन्च डॉ अरविंद कुमार, प्रिंसीपल डायरेक्टर एंड एचओडी, पिडियाट्रिक्स और श्री नवीन शर्मा, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग ने किया। लॉन्च के अवसर पर अस्पताल ने स्कूली बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया। साथ ही, उनके पैरेंट्स, स्कूल के प्रिंसीपल और शिक्षकों के लिए इंटरेक्टिव सत्रों का भी आयोजन किया। इसमें नजदीकी स्कूलों के 300 से अधिक छात्रों उनके पैरेंट्स और शिक्षा जगत के कई प्रमुख विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया। बच्चों में मोटापे की बढ़ती समस्या भारत में तेजी से स्वास्थ्य संकट बनती जा रही है। लांसेट के मुताबिक, देश में 2050 तक 400 मिलियन से अधिक व्यक्ति मोटापे (ओवरवेट) और सामान्य से अधिक वज़न (ओवरवेट) की समस्या से जूझ रहे होंगे, जो कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी एक बड़ी चुनौती बन सकता है। एक अनुमान के मुताबिक,शहरी स्कूली बच्चों में पांच में से एक सामान्य से अधिक वजन या मोटापे की समस्या से ग्रस्त है,और ऐसे बच्चों के आगे चलकर वयस्क जीवन में भी मोटापे के शिकार होने की संभावना पांच गुना अधिक होती है। कम उम्र में मोटापे के कारण, 12-14 वर्ष की उम्र के बच्चों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हार्मोन संबंधी असंतुलन, हृदय रोगों के अलावा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी सामने आती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में इस समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि 2050 तक भारत में मोटापे से पीड़ित लोगों का आंकड़ा 44 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो कि बेहद भयावह और चिंताजनकहै। उन्होंने नागरिकों से खानपान की सेहतमंद आदतें अपनाने,भोजन में तेल और वसा की खपत कम करने, तथा दैनिक जीवन में शारीरिक गतिविधियों को शामिल करने का मश्विरा दिया। तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण की वजह से व्यायाम रहित जीवनशैली बढ़ी है और साथ ही,अधिक स्क्रीन टाइम ने भी बच्चों में मोटापे की समस्या को बढ़ाया है,जो कि अब केवल पोषण से जुड़ी समस्या नहीं रह गई है बल्कि क्लीनिकल,सामाजिक तथा विकास संबंधी चुनौती बन गई है,जिसका जल्द से जल्द समाधान करने के लिए व्यवस्थित और वैज्ञानिक रूप से हस्तक्षेप जरूरी है। यह क्लीनिक मोटापे की समस्या को तो दूर करने में मददगार होगा ही, साथ ही, भविष्य में भी जटिलताओं से बचाव करते हुए दीर्घकालिक आधार पर लाइफ क्वालिटी में भी सुधार लाएगा।
डॉ अरविंद कुमार, प्रिंसीपल डायरेक्टर एंड एचओडी, पिडियाट्रिक्स और श्री नवीन शर्मा, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग ने कहा बाल्यावस्था में मोटापाअब कोई लाइफस्टाइल च्वॉइस नहीं है, बल्कि क्लीनिकल वास्तविकता है। हम 10-12 वर्ष की उम्र के छोटे बच्चों में भी मधुमेह, उच्च रक्तचापऔर हार्मोनल असंतुलन की समस्याएं देख रहे हैं। मोटापे से केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, शैक्षिक प्रदर्शन और सामाजिक छवि पर भी असर पड़ता है। इस क्लीनिक के जरिए,हमारा मकसद इन समस्याओं से प्रभावित परिवारों को वैज्ञानिक मार्गदर्शन और मल्टीडिसीप्लीनरी केयर तथा व्यवस्थित तरीके से सपोर्ट देना है, क्योंकि शुरूआत में ही इस प्रकार का हस्तक्षेप बच्चे के आगे के जीवन को पूरी तरह से बदल सकता है। बचाव,समय पर डायग्नॉसिस और लाइफस्टाइल संबंधी बदलाव न केवल महत्वपूर्ण होते हैं,बल्कि हमारी भविष्य की पीढ़ियों को स्वस्थ बनाने की दृष्टि से बेहद जरूरी भी हैं।
श्री नवीन शर्मा, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग ने कहा फोर्टिस हेल्थकेयर में,हम मरीजों का उपचार करने से भी कहीं आगे तक जाने का प्रयास करते हैं हम बचाव, जागरूकता बढ़ानो और दीर्घकालिक आधार पर वैलनेस को बढ़ावा देने में यकीन रखते हैं। बाल्यावस्था में मोटापा केवल मेडिकल समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है जिसके लिए समय पर हस्तक्षेप करना जरूरी है। इस क्लीनिक के लॉन्च के साथ ही, हमने क्लीनिकल उत्कृष्टता और लाइफस्टाइल काउंसलिंग, पोषण संबंधी मार्गदर्शन, तथा भावनात्मक सपोर्ट मुहैया कराते हुए बच्चों के लिए 360-डिग्री केयर इकोसिस्टम तैयार किया है। हमारा मकसद शीघ्र हस्तक्षेप परिवारों के लिए सपोर्ट और भविष्य के लिए सेहतमंद पिडियाट्रिक आबादी का निर्माण करना है।



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